13 जनवरी 2012

पैगाम-ए-अमन कारवाँ: अयोध्या से अमृतसर..

पैगाम-ए-अमन कारवाँ: अयोध्या से अमृतसर
(युगलकिशोर शरण शास्त्री)

अयोध्या और पंजाब दोनों ही अपनी विशिष्ट रूहानी विरासत के कारण भारत में अपना विशिष्ट पहचान रखता है। अयोध्या का अर्थ “वह भूमि जहाँ कभी युद्ध नहीं होता हो भी है। यह आर्यों, बौद्ध भिक्खुओं, जैन मुनियों, सूफी सन्तों एवं सिक्ख गुरूओं के आकर्षण का केन्द्र रहा है। मध्यकाल में सूफी लोग पाँच नदियों वाली पंजाब के मैदानी भागों में शान्ति और भाईचारे के सन्देश के साथ यहाँ आये और यहाँ पर अध्यात्मिक केन्द्र स्थापित किया। गुरूनानक देव का यह छन्द “अव्वल अल्ला नूर उपाया, कुदरत के सब वन्दे“ काफी प्रचलित है, उन्होंने जन-जन तक मानवता का सन्देश पहुँचाया।

1 दिसम्बर 2011 को भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव एवं द इण्डिया हारमोनी फाउण्डेशन के संस्थापक जफर सैफुल्लाह साहब के पहल पर अयोध्या से अमृतसर तक पैगाम-ए-अमन कारवाँ निकाली गयी। इसका मकसद था, पंजाब और अयोध्या के साझा संस्कृतियों के इन दो पवित्र स्थलियों को एकदूजे के इतना करीब ला देना कि नफरत फैलाने वाले धर्म और मजहब की आड़ में खुँरेजी के खेल खेलने की सोच भी न सकें। इस यात्रा का नेतृत्व चिश्ती सद्भावना पुरस्कार प्राप्त युगलकिशोर शरण शास्त्री ने किया था। आशा परिवार और अयोध्ध्या की आवाज इस कारवाँ के आयोजन में सहयोगी की भूमिका अदा की थी। कारवाँ में कुल 36 लोग शामिल थे जिसमें हिन्दू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, बौद्ध भिक्खु के अलावा महिलाओं की भी संख्या डेढ़ दर्जन के आस-पास थी।
पैगाम-ए-अमन कारवाँ के पूर्व संध्या पर सरयूकुंज सर्वधर्म सद्भाव केन्द्र अयोध्या में अवध पीपुल्स फोरम द्वारा लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। साम्प्रदायिकता, मर्दानगी, बार्डर के पार एवं सैन्यकरण लघु फिल्मों के प्रदर्शन के पश्चात परिचर्चा करायी गयी। इस अवसर पर केरल प्रान्त में स्थित जनपद त्रिचूर के सालसा सलवीन ग्रीन स्कूल के बच्चों ने ‘इश्क न हिन्दू इश्क न मुस्लिम’ गीत से पूरी शाम को अमन के रंग में रंग दिया।
1 दिसम्बर 2011 को प्रातः 9 बजे हनुमानगढ़ी के सुप्रसिद्ध सन्त एवं समाजवादी सन्त सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा भवनाथ दास जी महाराज ने हरी झण्डी दिखाकर सरयूकुंज अयोध्या से रवाना किया। कारवाँ के जत्थों ने विभिन्न विद्यालयों के समारोहों एवं गोष्ठियों एवं पत्रकों के माध्यम से अमन और भाईचारे का सन्देश देते हुए लखनऊ पहुँचकर गाँधी भवन में पहला पड़ाव डाला जहाँ पर आशा परिवार की ओर से मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त संदीप पाण्डेय एवं बाबी रमाकान्त ने पुष्प मालाओं से भव्य स्वागत किया। यह कारवाँ अपने निर्धारित कार्यक्रमानुसार अमन का सन्देश देते हुए 2 दिसम्बर को बरेली, 3 दिसम्बर को मुजफ्फरनगर, 4 दिसम्बर को दिल्ली, 5 दिसम्बर को कुरूक्षेत्र, 7 दिसम्बर को अमृतसर, 8 दिसम्बर को चण्डीगढ़ में पड़ाव डाला। इन सभी स्थलों पर अमन के लिये स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के निर्देशन में अमन और भाईचारा को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम भी रखे गये थे। इसमें गाँधीवादी राम मोहन राय एवं महावीर भाई के संयोजन में विभिन्न कस्बों व शहरों मे ंपीस मार्च एवं जलसे का आयोजन किया गया। कारवाँ में स्थित केरल के बच्चों ने अपने एकता के गीतों से लोगों में बेहतरीन समाँ बाँधा।
पैगाम-ए-अमन कारवाँ का औपचारिक समापन अमृतसर में किया गया था। यहाँ पर कारवाँ के जत्थों ने स्वर्ण मन्दिर में मत्था टेककर प्यार-मोहब्बत, भाईचारा का सन्देश ग्रहण किया। समापन अवसर पर अमृतसर के भवंज एम.एस. स्कूल में अध्यक्ष अविनाश महेन्द्र, उपाध्यक्ष अनिल सिंघल व प्रिन्सिपल डा. अनीता भल्ला के निर्देशन में विशाल समारोह का आयोजन किया गया। साथियों सलाम है, भाइयों सलाम है, बहनों सलाम है, अमन के मौका का यह सलाम था। यह देश भक्ति एवं अमन का गीत पेश किया था ग्रीन स्कूल केरला के बच्चों ने। इस समारोह में हजारों की संख्या में छात्र-छात्रायें एवं नागरिकगण उपस्थित थे। इसके मुख्य अतिथि पूर्व गर्वनर केरला एण्ड बिहार के आर.एल. भाटिया को कारवाँ के संयोजक युगलकिशोर शरण शास्त्री ने अमन का झण्डा भेंट किया। अपने सम्बोधन में श्री भाटिया ने कहा कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थों के चलते धर्म के नाम पर विभाजन करने का चाल चल रहे हैं। पैगाम-ए-अमन कारवाँ के मुख्य आयोजक एवं द इण्डिया हारमोनी फाउण्डेशन के संस्थापक जफर सैफ्फुल्लाह ने कहा कि धर्म लोगों को जोड़ने का सन्देश देता है। देश के नामी गिरामी सामाजिक कार्यकर्ता असगर अली इन्जीनियर ने कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों से सावधान रहना चाहिए। इस अवसर पर अमृतसर मैनेजमेन्ट एसोशिएशन के प्रधान अशोक सेठी, पार्षद बख्शी राम अरोड़ा व अन्य शख्शियतों ने समारोह को सम्बोधि किया।
पैगाम-ए-अमन कारवाँ के समापन में उपरोक्त विद्यालय में सुफि
याना का रूहानी सफर पर कार्यक्रम रखा गया। जिसे विख्यात गजल गायक सुश्री रेणे सिंह ने अर्जिया सारी चेहरे पर लिखकर लाया हूँ, तुम से क्या माँगू तुम खुद ही समझ लो मौला, को सुफियाना अंदाज में गाया। उनके साथ नर्तकी शोभा नारायणा ने भी अपनी कला का भरपूर प्रदर्शन किया। पैगाम-ए-अमन कारवाँ के वापसी के समय चण्डीगढ़ के एक विद्यालय में समारोह रखा गया था जिससे हजारों लोगों ने अमन की प्रेरणा ली।
पैगाम-ए-अमन कारवाँ अपने लक्ष्यों में कितनी सफल र
ही यह अप्रत्यक्ष है लेकिन यह देश की साझी विरासत के सन्देश को करोड़ों लोगों तक पहुँचाने में सफल रहा है।
युगुल किशोर शरण शाष्त्री
राम जानकी मंदिर , सरयू कुँज
अयोध्या, उत्तर प्रदेश
-सम्पर्क-9451730269