30 अक्तूबर 2013




दिव्या होगी यात्रा के साथी

औरन्गावाद के दिव्या जन संस्कृति यात्रा २०१३ में शामिल हो रही है.इनसे मेरीप्रथम मुलाकात दिल्ली में भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री के.रहमान साहेब के निवास पर हुई थी.वे अंग्रेजी और हिंदी साहित्य में कई उपन्यास लेख और कविताएँ लिख चुकी है जो प्रकाशित है.दिव्या,भू गर्भ शास्त्री है.इन्हें गुजरात सरकार ने कच्छ में मिनरल की खोज में सहयोग के लिए नियुक्त कर लिया है.इन्हें भू गर्भ की विशेष योग्यता हाशिल है.कंप्यूटर के तो दिव्या पंडित ही है.दिव्या अयोध्या से काठमांडू तक यात्रा में मेरे साथ रहेगी,अच्छा लग रहा है.यात्रा में वे ग्रामीण इलाका के महिला अधिकार पर अध्ययन करेगी,जिसे प्रकाशित कराया जावेगा.

29 अक्तूबर 2013



कुसुम भी रहेगी यात्रा में

जन संस्कृति यात्रा में आजमगढ़ की समाज सेविका कुसुम भी शामिल होने के लिए मेरे निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है.वे अयोध्या से काठमांडू तक के ग्रामीण अंचलों में दलित समस्या के शोध में प्रमिला वर्मा को साथ देगी.कुसुम लगभग आठ वर्षों से पूर्णकालिक समाज सेवा का कार्य कर रही है.महिला अधिकार,शिक्षा,दलित समस्या और स्वास्थ्य पर कुसुम तमाम कार्य कर चुकी है.वे मेरे साथ २०१२ में शांति और सद्भाव के लिए अयोध्या से कश्मीर तक की यात्रा में शामिल रही है.यह जन संस्कृति यात्रा २६ नवंबर २०१३ को अयोध्या से निकाली जावेगीजो २ दिसंबर को काठमांडू पहुचेगी.

28 अक्तूबर 2013




k.m भाई यात्रा के साथी होंगे 

कानपूर के युवा समाजिक कार्यकर्त्ता जन संस्कृति यात्रा में अयोध्या से काठमांडू तक शामिल होकर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को सम्भालेंगे.वे कानपूर के देहाती शेत्रो में बच्चों और महिला अधिकार पर काम कर रहे हैं.विभिन्न मुद्दों पर वे लेखन कार्य भी कर रहे हैं.कई पत्र पत्रिकाओं में उनके लेख प्रकाशित भी हो चुके हैं.साम्प्रदायिक सौहार्द और शांति के मुद्दे पर k.m.bhai कई जनसंगठनो के साथ जुड़े है.कई राष्ट्रीय और अंतर राष्ट्रीय यात्राओं में इन्होने अहम् योगदान दिया है.आगामी २६ नवंबर से निकल रही जन संस्कृति यात्रा में वे ग्रामीण अंचल के महत्वपूर्ण धरोहरों पर वे अध्ययन और शोध करेंगे जिसे पुस्तक का आकार दिया जावेगा.

26 अक्तूबर 2013


परमिला वर्मा यात्रा में शामिल होगी              
औरंगाबाद के बरिष्ठ साहित्यकार डॉ परमिला वर्मा जनसंस्कृति यात्रा में शामिल होकर उर्जा प्रवाहित करेगी.वे 26 नवंबर को अयोध्या से काठमांडू तक जाने वाली इस यात्रा के माध्यम से ग्रामीण अंचलों के दलित समस्या पर शोध और अनुसन्धान करेगी,जिसे प्रकाशित कर पुस्तक का आकार दिया जावेगा.डॉ वर्मा 1990 से ही पत्रकारिता और लेखन के शेत्र में निरंतर सक्रिय हैं.धर्मयुग,साप्ताहिक हिंदुस्तान,सारिका आदि पत्रिकाओं से इन्होने लेखन का शुरुआत किया.अलग अलग विषयों पर इनके 3 हजार लेख प्रकाशित हो चुके हैं.कहानी संग्रह,आकान्शाओं से परे,अनर्गल,और हवा में बंद मुट्ठियाँ उपन्यास प्रकाशित हैं.वे जानम समझा करो tv धारावाहिक पर शोध कर चुकी है.लेखन और पत्रकारिता पर इन्हें महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी अवार्ड,श्रेष्ठ पत्रकारिता अवार्ड,दलित साहित्य अवार्ड मिल चुके हैं.सम्प्रति वे पक्षियों पर विशेस काम कर रही है.वे संघ दीव भी जा चुकी है.पिछले माह वे हमारे साथ इंसानियत का पैगाम यात्रा जो अयोध्या से वाया दिल्ली उत्तराखंड खंड तक निकली थी शामिल थी.उनके यात्रा में शामिल होने की सुचना से मुझे भारी प्रसन्नता है.खास बात यह भी है की डॉ वर्मा कई वर्षों तक आकाशवाणी से कहानियो का भी प्रसारण कर चुकी है            

24 अक्तूबर 2013



साहित्यकार उर्मिला शुक्ला यात्रा में शामिल होंगी
छत्तीसगढ़ प्रान्त के वरिष्ठ साहित्यकार उर्मिला शुक्ला जन संस्कृति यात्रा में शामिल होकर अपने अनुभवों से यात्रा के मकसद की पूर्ति में अपना योगदान देगी.श्रीमति शुक्ला छत्तीसगढ़ प्रान्त के नामी गिरामी साहित्यकारों में शुमार की जाती है. अभी तक इनके दो कहानी संग्रह,दो कविता संग्रह,चार समीक्षात्मक किताबें,छत्तीसगढ़ी में दो खानी संग्रह,और एक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं.छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से इन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं.उर्मिला शुक्ला अयोध्या से वाया दिल्ली होते हुए उत्तराखंड तक की इंसानियत का पैगाम यात्रा में भी साथ रही है.वे  आगामी २६ नवंबर को अयोध्या से काठमांडू तक की जन संस्कृति यात्रा में शामिल होकर उत्तर प्रदेश,बिहार और नेपाल के  ग्रामीण अंचलों की संस्कृति पर शोध करेगी.इसके अंतर्गत ग्रामीण अंचलों के खान पान,रहन सहन,महिलाओं के गीत,पुरुषों के गीत त्यौहार आदि शामिल है.इस संस्कृति से वे विकास की रास्ते खोज कर दस्तावेजीकरण में सहयोग करेगी.उनके यात्रा में शामिल होने की सुचना पर जन संस्कृति यात्रा के संयोजक युगलकिशोर शरण शास्त्री ने प्रसन्नता व्यक्त किया है.

23 अक्तूबर 2013



जनता में नयी उर्जा का संचार करेगी ‘जन संस्कृति यात्रा’:शास्त्री  
अयोध्या,आगामी 26 नवम्बर 2013 को अयोध्या से काठमांडू तक निकाली जा रही जन संस्कृति यात्रा की अगुवाई चिश्ती सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित युगलकिशोर शरण शास्त्री करेंगे.वे ‘अयोध्या की आवाज’ संस्था के संयोजक भी है.शास्त्री अभी तक देश के लम्बी दूरियों की शांति और सद्भाव के लिए 11 यात्राओं की अगुवाई कर चुके हैं.यह उनकी 12वी यात्रा होगी.वे अयोध्या की साझी विरासत का सन्देश अपने यात्राओं के माध्यम से जन-जन तक पहुचाने का प्रयास कर रहे हैं. 
 युगलकिशोर शरण शास्त्री देश के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं में शुमार किये जाते हैं.वे 22वर्षो से शांति और सद्भाव की मुहिम में सक्रिय हैं.इस विषय पर अभी तक वे 450 से अधिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुके हैं.8 पुस्तकों के लेखक होने के गौरव के साथ 23वर्षों तक श्रीरामजन्मभूमि साप्ताहिक पत्र के सम्पादक की जिम्मेदारी निभाने के साथ सद्भाव की अलख जगाने के जिम्मेदारी के अलावा साम्प्रयिकता के बढ़ते खतरों से आगाह करते रहे  हैं.फिरकापरस्ती के स्याह होते चेहरे और दमित तबकों के हक़ हकूक पर उनके सेकड़ों लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय प्रकाशित होते रहे हैं.
            जन संस्कृति यात्रा के अगुवा  युगलकिशोर शरण शास्त्री कहते हैं की यह ‘यात्रा’ अन्य यात्राओं से कुछ भिन्न है.इसमें साम्प्रदायिकता,महिला अधिकार,दलित समस्या, ग्रामीण संस्कृति और ग्रामीण अंचल के एतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों पर जमीनी हकीकत का दस्तावेजीकरण कर नयी पीढ़ी को इससे रूबरू कराया जायेगा.इन सवालों से जूझने के लिए हमे ग्रामीणों से बीच जाना होगा.. हम इसके लिए भी तैयारी कर रहे हैं.नेपाल के पहाड़ी इलाको के लिए हम वहां की बोली वानी समझने के वास्ते इलाकाई साथी की तलाश कर रहे हैं जिससे भाषाई समझ में आसानी होगी.जिससे हम ग्रामीण हलकों में मीटिंग और सेमिनारो के मार्फ़त जनजागरूकता की रौशनी की लौ और तेज़ किया जा सके.इस यात्रा में महिला अधिकारों पर लगातार कलम चलाने वाली महिला लेखिकाओं का जमावड़ा रहेगा,जो अपने अनुभव से सराबोर करेंगी.इंसानियत पसंदों की इस यात्रा का समापन 3दिसंबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू में विविध कार्यक्रम होंगे. जन संस्कृति यात्रा अपनी मकसद में कामयाब होगी,ऐसी उम्मीद दिखती है.

21 अक्तूबर 2013

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JAN SANSKRITI YATRA
AYODHYA TO KATHMANDU
26-11-2013 to 02-12-2013
A Kind Appeal
Dear All,
We want to inform you that for studies and research on culture of rural region of India and Nepal The Jan Sanskriti Yatra is being organized under leadership of YugalKishor Sharan Shashtri. The yatra will travel through the UTTAR PRADESH, BIHAR To NEPAL Region. The participants would also study on Dalit Issues, Communal Harmony, Women Rights, and also Rural Culture. We have a plan to publish a summarized Book on experiences of Yatra.
 So there is a kind request to all of you please show your generosity and give your kind support to Yatra as you can. We will very thankful to all of you.
You can give your support through Check or draft in favor to Sharva Dharma Sadbhawna Kendra Trust.you can also deposit your support in our bank account.
Bank details are following -
Sharva Dharma Sadbhawna Kendra Trust
Bank Name: - Indian Overseas Bank
A/c no:-          026501000019201.
IFS Code:-      IOBA0000265
                      2012/CSP/SB48
Yugul Kishor Sharan Shastri
‘sarvdharam sadbhavna Kendra trust’ New delhi
                 320,saryukunj Ram Janaki mandir, Durahi Kunwa ,
                                      Ayodhya, Faizabad -224123
Mo: 9451730269,
http://ayodhyakiawaj.blogspot.com

20 अक्तूबर 2013



 जन संस्कृति यात्रा 2013
 
अयोध्या से काठमांडू तक
26 -11 - 2013  
से  02 -12 - 2013  

संस्कृति और राष्ट्र का आपस में गहरा सम्बन्ध होता है या फिर यूं कहें कि किसी राष्ट्र के निर्माण और विकास में उस देश की संस्कृति की अहम् भूमिका होती है। ऐसा हमारे बुद्धिजीवियो का मानना है।  किसी राष्ट्र की संस्कृति ही उस राष्ट्र के विचारो, मूल्यों, उद्देश्यों और प्रथाओं को प्रदर्शित करती है। जितनी तेजी से हमारी संस्कृति का विकास होगा उतनी ही तेजी से हमारे राष्ट्र का भी विकास होगा। संस्कृति की पहचान सिर्फ गीत संगीत और नृत्य से ही नहीं होती बल्कि देश के आर्थिक, सामाजिक और अन्य गतिविधियों के क्षेत्रो में भी संस्कृति की एक खास भूमिका देखने को मिलती है। कभी साहित्य के रूप में, तो कभी गीत-संगीत के रूप में, वेश-भूषा में, बोली- भाषा में,  नृत्य- चित्रकला में, पहाड़- जंगल हो या फिर नदियाँ  हर जगह हजारो बहुमूल्य लोक जीवन शैलियाँ छिपी पड़ी है। बस जरूरत है तो उन्हें खोजने की, सहजने और सवांरने की। सदियों से संस्कृति ने मानव समाज को फलने फूलने और सवांरने के लिए अपार संसाधन और विधाए उपलब्ध करायी है,चाहे फिर वो आदि मानव समाज हो या फिर पूर्ण सभ्य मानव समाज दौनो ही के विकास में संस्कृति का एक अहम् योगदान रहा है। लेकिन यहाँ पर यह बात गौर करने की है कि इसके सहजने और सवांरने में हमारा क्या योगदान रहा है? हाँ पूर्व में कुछ प्रयास जरूर हुए पर उनमे से अधिकतर सिर्फ लेखन तक ही सीमित रहे है उनमे इस साझी विरासत का गहन अध्ययन शामिल नहीं है सिर्फ किताबी और प्रचलित प्रथाओ के आधार पर साहित्य तैयार किया गया है पर वास्तव में जमीनी स्तर पर आम जन मानस के बीच जाकर अध्ययन नहीं हुआ।  जिसके कारण आज भी कई संस्कृतियों में क्षेत्रीय और भाषिक संकीर्णता का स्पष्ट प्रभाव नजर आता है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में, दलितों के बीच, पहाड़ी इलाको में अनेका अनेक संस्कृतियाँ आज भी छिपी और दबी पड़ी है जो विकसित होने की बाट जोह रही हैं जिन्हें सहजने, सवांरने और समर्द्ध बनाने की जरूरत है।

साथियों ! हमने यह संकल्प लिया है कि हम उन संस्कृतियों को सहजने और सवांरने का प्रयत्न करेंगे जो आज भी अनदेखी और अज्ञातवास का दंष झेल रही हैं और हम अपने इस संकल्प की शुरुआत एक  "जन संस्कृति यात्रा"  के माध्यम से कर रहे है। यह यात्रा अपनी साझी विरासत के लिए पूरे विश्व में स्वर्ग माने जाने वाले दो देशो भारत और नेपाल के बीच निकल रही है। जिसका मुख्य मकसद सांस्कृतिक विरासत की खोज और अध्ययन कर उसे सार्वजनिक करना है। यह यात्रा एक ओर जहाँ भारत में ऊतर प्रदेश और बिहार के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद संस्कृति की पहचान और अध्ययन हेतु भ्रमण करेगी तो वही दूसरी ओर नेपाल के तरायी और पहाड़ी क्षेत्रो की जीवन शैली का जायजा लेते हुए काठमांडू के एतिहासिक स्थलों का दौरा करेगी।  हमारा मकसद अखबार और साहित्य वाली संस्कृति से परे हटकर आम जन मानस के बीच जाकर उन्ही के शब्दों और भावो के अनुरूप लोक जीवन पर शोध करना और उसे समाज के बीच लाना है यात्रा के साथी इस दौरान आम जन के बीच जायेंगे उनसे मिलेंगे, बात चीत करेंगे और उनकी संस्कृति के बारे में तथ्य इकठ्ठा करेंगे, इन क्षेत्रो के प्राचीन और एतिहासिक स्थलों पर घूमेंगे वहां के संरक्षक और प्रतिनिधियों से मिलेंगे उनके अनुभवों को जानेंगे तथा साथ ही क्षेत्र के विषय विशेषज्ञ के साथ वार्तालाप करेंगे, विषय से सम्बंधित सामग्री एकत्रित करेंगे और शोध पत्र तैयार करेंगे। इसकी की एक खास विशेषता यह है कि यह भेड़ चाल न हो के कुछ खास विषयों और मुद्दों पर केन्द्रित है जिन पर यात्री शोध प्रस्तुत करेंगे।  यात्रा के विषयों में मुख्य रूप से ग्राम जन जीवन की शैली और रहन सहन के तौर तरीकेमहिला अधिकारों की स्तिथि और उनका संस्कृति में योगदान, साम्प्रदायिकता और सांप्रदायिक सोच का समाज पर प्रभाव, दलित समस्या और उनकी स्तिथि और उसकी पहचान आदि विषयों पर अध्ययन के आधार पर प्राचीन और वर्तमान समय की सांस्कृतिक विरासत के बीच अंतर पर विषलेषण शामिल हैं। यात्रा में प्राप्त अनुभव और अध्ययन को संकलित करते हुए " जन संस्कृति पुस्तिका" का प्रकाशन भी किया जायेगा ।

जन संस्कृति 2013  में मुख्य रूप से विषय विशेष से जुड़े हुए ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता और साहित्यकार रहेंगे जो आम जन मानस के सरोकारों से जुड़े मुददों पर काम कर रहे है।
युगलकिशोर शरण शास्त्री
अयोध्या की आवाज
 
राम जानकी मंदिर, दुरहीकुआँ, अयोध्या
Email - ykshashtri@gmail.com 
 contact-  9451730269