6 दिसंबर 2010

अयोध्या फैसला: हमारी चिन्तायें

अयोध्या फैसला: हमारी चिन्तायें
अपील
30 सितम्बर 2010 को अयोध्या विवाद के विषय में लखनऊ उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी पूरे देश में अमन चैन कायम रहा। तीनों पक्षों को एक-एक तिहाई भूमि बाँटने के कारण कोई भी पक्ष पूरी हार-जीत का दावा नहीं कर पाया। कोई दंगा खून-खराबा इसलिए नहीं हुआ कि।
क. क्योंकि देश की आम जनता इस विवाद से तंग आ चुकी है और इसे लेकर कोई भी बखेड़ा, दंगा या मार काट के पक्ष में नहीं है।
ख. देश के युवा वर्ग को अपने कैरियर की चिन्ता है,वह काल्पनिक बखेड़ो में नहीं पड़ना चाहता।
ग. क्योंकि खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में जातीय संस्था मजबूत हुई हैं और धार्मिक संस्था कमजोर।
घ. उत्तर प्रदेश के पी.ए.सी बलों के भारी संख्या में जाति और मजहब के आधार पर संतुलन कायम होने के कारण सन 1992 जैसी इनकी साम्प्रदायिक चेहरा नहीं था।
ड. अयोध्या की आवाज,आशा परिवार एवं अन्य जनसंगठनों के कार्यकत्र्ताओं ने स्टीकर, सेमिनार प्रेस वातर्का आदि के माध्यम से शान्ति के लिए अपील जारी किया जिससे साम्प्रदायिक संगठनों के लोग पहले से ही भारी दबाव में आ गये थे। इन संगठनों के लोग जनता से अलग-थलग पड़ गये थे।
लखनऊ हाईकोर्ट के फैसले से कोई संतुष्ट नही है यह तय है कि सम्बन्धित पक्ष सुप्रीमकोर्ट जायेंगे। इसमें कई साल और लग सकते हैं। इस विवाद का फैसला चाहे सुप्रीम कोर्ट से हो या आपसी समझौते से परन्तु विवादों का फैसला सड़कों पर खून खच्चर या दंगा फैलाकर नहीं होना चाहिए। साम्प्रदायिक संगठनों पर सख्त निगाह रखनी होगी, इसके कुकृत्यों पर कड़ी नजर रखनी होगी। यह ताकतें देश को बंधक बनाने,लोकतंत्र,एकता,भाईचारा को कमजोर कर अपना उल्लू सीधा करने का षडयंत्र रचते हैं।
अयोध्या मसला के फैसला को लेकर कई चिन्ताजनक बाते हैं। इस फैसले में साक्ष्य और तर्कों को नीचे कर आस्था और विश्वास को आधार बनाया गया है जिससे इस देश के लोकतंत्र एवं धर्मनिरपेक्षता के समक्ष चुनौती उपस्थित हो गयी है। जबकि मूलरूप से यह वाद जमीन और सम्पत्ति का है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की जिस रपट का सहारा लिया गया है वह काफी विवादास्पद रहा है। हाईकोर्ट का यह फैसला नजीर बन सकता है जिसमें देश के भू-माफियाओं का वर्चस्व बढ़ेगा। वे गरीबों की जमीन, सार्वजनिक स्थल एवं अल्पसंख्यकों के जमीन पर कब्जा कर रातों रात किसी भी देवी देवता की मूर्ति की स्थापना कर आस्था का आधार बिन्दु बनाकर कब्जा करेंगे।
06 दिसम्बर 1992 को भगवा गिरोह द्वारा बाबरी मस्जिद तोड़ने की गुण्डागर्दी की गयी तथा यहाँ के सोलह मुसलमानों को जिन्दा जला दिया गया तथा डेढ़ सौ से अधिक मुस्लिम घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इन तत्वों को अभी तक सजा नहीं मिली है जबकि देश का न्यायालय इससे सामान्य मामले में भी मुस्लिमों को सजा सुनाने में देर नहीं करता है। बाबरी मस्जिद तोड़े जोने की घटना देश का संविधान, एकता एवं धर्मनिरपेक्षता पर हमला थी। इस घटना से देश में तमाम जगहों पर दंगे लूटपाट एवं खून खराबा हुआ। मुम्बई दंगो के मामले पर श्रीकृष्ण आयोग की रपट पर कोई कारवाई नहीं हुई है।
22 दिसम्बर 1949 में अयोध्या के बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखने वालों को सजा दिलायी गयी होती तो 06 दिसम्बर 1992 की घटना नहीं होती। यदि बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों को सजा दिलायी गयी होती तो गुजरात के गोधरा काण्ड के पश्चात हजारों मुसलमानों का संहार नहीं होता। यदि ऐसा ही चलता रहा तो भारत के अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमान और ईसाईयों का शासन, प्रशासन एवं न्यायालय से विश्वास खत्म होगा। वे लोग अपना निर्णय स्वयं लेने को मजबूर हो जावेंगे। शासन प्रशासन एवं जुडीशियल के अल्पसंख्यकों के प्रति नफरतपूर्ण रवैये से लोकतंत्र को भारी नुकसान पहुँच सकता है।
उपरोक्तस्थिति में अयोध्या की आवाज संस्था की निम्न अपील है कि -
क. अयोध्या मसला को स्थानीय स्तर पर आम साधु, सन्त एवं नागरिक द्वारा सुलझाया जाये। यदि परस्पर कोई समझौता नहीं होता है तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मान्य किया जाये।
ख. अयोध्या के जो मठाधीशगण साम्प्रदायिकता की रोटी सेक रहे हैं उन्हें समझौता वार्ता से अलग किया जायें तथा इन लोगों पर कड़ी निगाह रखी जावें।
ग. धार्मिक विवादों को लेकर हिंसा, दंगा, मारकाट, बल प्रयोग का षडयंत्र रचने वाले तथा इसके नाम पर राजनीति करने वालों को जनता मजबूती से ठुकराये।
घ. 06 दिसम्बर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के दोषियों , मुस्लिमों को जिन्दा जलाने तथा इनके घरों व मकानों को आग के हवाले करने वाले को शीघ्र सजा दिलाया जाये।
ड. 06 दिसम्बर 1992 मंे जिन-जिन मुसलमानों के घर आग के हवाले किये गये उन सभी को शीघ्र मुआवजा दिया जावे।
च. अयोध्या में स्थित कारसेवक पुरम जो साम्प्रदायिक गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है उसे अधिग्रहीत कर सरकारी अस्पताल या अन्य सार्वजनिक हित में उपयोग किया जाये।

आपका

युगल किशोर शरण शास्त्री, मो0नं0- 09451730269,राजेश नन्द, विनोद कुमार, मो0तुफैल, मनोज धानुक, इरम सिद्दीकी, रामजीराम यादव, मुनेश चन्द्र श्रीवास्तव, भन्ते रठपाल, जलाल अहमद, रईस अहमद, मो0 नईम, अखिलेश चतुर्वेदी,मुजीबी,अब्दुल हफीज, मु0वसीम, भारती सिंह, ठा0राम सिंह, आलोक निगम सुरेन्द्र ओझा एवं अयोध्या की आवाज के समस्त कार्यकत्र्तागण।
निवेदक:
अयोध्या की आवाज एवं आशा परिवार
सरयूकुज मन्दिर दुराही कुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद , उत्तर प्रदेश

16 नवंबर 2010

रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद

रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद
( मिथक एवं तथ्य)


प्रकाशक
अयोध्या की आवाज एवं आशा परिवार
सरयू कुज दुराहीकुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद, उ0प्र0, 224123

रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद
( मिथक एवं तथ्य)

प्रधान सम्पादक: प्रो. राम पुनियानी
सम्पादक: युगलकिशोर शरण शास्त्री
सह-सम्पादकः राजेश नन्द
पताः सरयू कुज दुराहीकुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद,उ0प्र0, 224123
मो.नं. 09451730269



प्रस्तावना

भारत पर लम्बे समय तक कब्जा जमाये रखने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति का अनुसरण किया। इन्होंने अपने रणनीति के तहत ऐसे विकृत इतिहास को परोसा जिससे यहाँ के लोग मिलजुल कर न रहने पाये। वह यहाँ से अपना आसन लेकर चले गये परन्तु अपने गुर्गों को यहीं छोड़ गये। उनके गुर्गे आज भी अपने उस्ताद की नीतियों का अनुसरण करते हुए नये -नये विकृत इतिहास रच रहे हैं जिसे तथ्यों से कोई ताल्लुक नहीं है। यह विकृत एवं मनगढ़न्त इतिहास लोगों को भ्रम की स्थिति में छोड़ने में कामयाब रहा है। यह इतिहास यदि रचा नहीं गया होता तो शायद महात्मा गाँधी की हत्या नहीं होती, बाबरी मस्जिद नहीं तोड़ी जाती, गोधरा काण्ड के पश्चात गुजरात में मुस्लिम संहार नहीं होता। इसके अलावा भी भारत में तमाम दंगे हुए जिसमें मानवता की भारी क्षति पहुँची है उससे बचा जा सकता था।
अयोध्या के रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद मसले पर अंग्रेजों के गुर्गों द्वारा रचित इतिहास का न सिर है न पाँव। यह लाखों लोगों में वितरित किये जा चुके हैं। इसे पढ़कर तरस भी आती है। इन गुर्गों के इतिहास से ऐसा लगता है कि अयोध्या की पूरी धरती खून से लथपथ है। इस मनगढ़न्त इतिहास को द्वेष बीज में इस्तेमाल कर समाज को संगठित होकर मूल समस्या से संधर्श करने की षक्ति को कमजोर कर दिया है।
भारत के जमींदार एवं सामन्तों ने शोषण एवं अमानवीयता को ढ़कने के लिए धर्म को सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल किया। आज पूँजीपति और भगवा गिरोह गठबन्धन द्वारा यही काम किया जा रहा है। यह गिरोह झूठ फरेब एवं भ्रम फैलाकर सच्चाई की राह को मिटाने का प्रयास कर रहा है। इनके झूठेे नाकाब को चेहरे से उतारना होगा।
भगवा गिरोह साधु सन्तों एवं हिन्दू समाज को भी हथकण्डे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। इसके साथ 15 प्रतिशत भी न तो साधु है और न ही हिन्दू समाज के लोग ही। अपनी सभाओं में वे सभी निर्णय स्वयं लेते हैं और साधु सन्तों का निर्णय बताते हैं। ये बातें ऐसी करते हैं जैसे पूरे हिन्दू समाज के ठेकेदार हैं। इनके इस तकिया कलाम पर लगाम लगाने की जरूरत है।
इस पुस्तिका का उद्देश्य है इतिहास के सही तथ्यों को रखकर साम्प्रदायिक ताकतों के कारनामों का पर्दाफाश करना, जिससे देश में प्रेम मोहब्बत, भाईचारा, समता, ममता,बन्धुता और एकता को बढ़ावा मिल सके।
युगलकिशोर शरण शास्त्री
सरयू कुज दुराहीकुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद, उ0प्र0, 224123



18 जुलाई 2010

अपनों से अपनी बात.................

अपनों से अपनी बात

एतद् देष प्रसूतस्य शकासाद अग्रजन्मनः
स्वं-स्वं चरित्रं शिक्षरेंन पृथ्वियां सर्व मानवाः

भावार्थ - जो लोग भारत में पैदा हुए तथा यहाँ के ब्राहमणों ने अपने अपने चरित्र से पृथ्वी के समस्त मानव प्राणी को शिक्षा दिया।

परोक्त श्लोक को तकरीबन 25 वर्षोँ पूर्व एक सद्ग्रन्थ में पढ़ा तो मेरा मन बाग-बाग हो उठा, मन मयूर नृत्य करने लगा। मुझे इस बात का गर्व था कि हमारे पूर्वज दुनिया में सबसे अच्छे थे। वे चरित्रवान थे,मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण थे। ज्यादा समय नहीं बीता,मैं निराश होने लगा मेरा मनका ढ़ह गया। अब विश्वास ही नहीं होता कि हम बहुत अच्छे थे। यदि हम बड़े मानवीय मूल्यों से युक्त थे, इन्सानियत पसंद थे तो आज क्या हो गया है। सन 1948 में बाबरी मस्जिद में मूर्तियाँ रख दी गयी, 6 दिसम्बर 1992 में इस मस्जिद को नारा लगाते हुए शरेशाम तोड़ दी गयी, इन्दिरा गाँधी की हत्या के पश्चात सिक्खो का संहार, गुजरात में गोधरा काण्ड के पश्चात मुस्लिमों का संहार तथा महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे को धारदार हथियार से पेट चीरकर पटकर मार देना, उड़ीसा के कंधमाल में दलित ईसाईयों का संहार तथा उनके घर झोपड़ियों को आग के हवाले कर देना आदि घटनायें क्या यही दार्शाता है कि हम बड़े कुलीन है,हम अच्छे हैं,चरित्रवान है सभ्य है?

इस देश में फासिस्टवादियों की संख्या 20 प्रतिशत से भी कम है। आज भी हम अपने कर्तव्यों से पूरी दुनिया को शिक्षा देने में सक्षम हैं परन्तु हमारी अच्छाइयों को कट्टरपंथियों ने गहरे धुंध में ढकेल दिया है। दुर्योधन द्वारा भरी सभा में द्रोपदी को चीरहरण किया जा रहा था, उनको नग्न करने का प्रयास चल रहा था। उस समय भीष्म पितामह मौन थे। युधिश्ठिर धर्मराज कहे जाते थे इन्होंने भी प्रतिकार नहीं किया। आज हम उन्हीं लोगों जैसे धर्मधुरन्धर हो गये हैं। साम्प्रदायिक ताकतें नंगा नृत्य करती रहती हैं, मानवीय मूल्यों का गला घोंटती रहती हैं।
युगलकिशोर शरण शास्त्री
महंथ, रामजानकी मंदिर
सरयू कुञ्ज, अयोध्या

1 मई 2010

सहमें से है कंधमाल के दलित व आदिवासी

सहमें से है कंधमाल के दलित व आदिवासी
युगलकिशोर शरण शाष्त्री

हरे भरे ऊँचे पे पौधे पहाड़ियाँ तथा प्रकृति के अन्य तमाम सम्पदाओं से युक्त कंधमाल के दलित एवं आदिवासी ईसाई आज भी अनहोनी घटना को लेकर सहमा सा है। पिछले 2008 में हुए भयानक संहार उन्हें बारम्बार स्मर होता रहता है प्राकृतिक सौन्दर्य उन्हें भा नहीं रहा है। हालांकि पुर्नवास की तैयारियाँ उड़ीसा सरकार एवं कुछ संगठनों द्वारा जारी है।

उड़ीसा के जनपद कंधमाल की जनता जो लोग हिन्दू कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर दलित व आदिवासी ईसाईयों को नुकसान पहुँचाया वे लोक अपने किये पर पछतावा कर रहे हैं। उन्हें अब महसूस होने लगा है कि हमें इस्तेमाल किया गया। फिर भी जो भुक्तभोगी है उन्हें भरोसा नहीं है। दूरियाँ अभी कम नहीं हुई हैं। इस जिले में अभी तक 300 ईसाई परिवार ऐसे है जो अपने घर को वापस नहीं आये हैं और जो लोग अमीर थे वे षहर पकड़ चुके हैं। उन्हें यह भय सता रहा है कि वापस होने पर उन्हें मार दिया जायेगा।

कंधमाल जनपद में कुल 2500 गाँव है। इनमें कैम्पों में 25 हजार आदिवासी थे। 500 गाँव प्रभावित थे और इनके 200 गाँवो पूरे तरह से दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया था। चालीस हजार ईसाई को बेघर होना पड़ा था।

23 अगस्त 2008 में स्वामी लक्ष्मणानन्द की हत्या का बहाना बनाकर आर. एस. एस. के अनुशांगिक संगठनों ने दलित आदिवासी ईसाईयों का कत्लेआम करना उनके घरों को जलाना, बलात्कार करना चर्चों को जलाना, जैसे तमाम क्रूर काम प्रारम्भ कर दिया था। यह क्रम पूरा एक माह तक चला। 56 लोगों को जिन्दा जला दिया गया था। घरों में स्थित सोने, चांदी के जेवरों को लूट लिया गया था। उन दिनों गाँवो के तमाम ऐसे हिन्दू थे उन्हें भी कट्टरपंथियों ने मारा पीटा।एक व्यक्ति जो बचाने में लगा था उनके दोनों आँखों में लकड़ी घुसेड़ दी गयी थी। उपद्रवकारियों ने जिन-जिन लोगों को जिन्दा जलाया था उसे मिट्टी में तोप दिया था।

कंधमाल में ईसाईयों का संहार सुनियोजित था। फादर जोसेफ बताते हैं कि यह घटना एकाएक नहीं हुई। इसके लिए संघ परिवार ने गाँव -गाँव में लोगों से मिलकर कई वर्षोपूर्व ईसाईयों के विरूद्ध नफरत फैलाना आरम्भ कर दिया था। कंधमाल के आदिवासी और दलितों में भी कट्टरपंथियों ने अपनी भारी पैठ बना ली थी। हम लोग समझ नहीं पाये थे। स्वामी लक्ष्मणानन्द की हत्या तो सिर्फ बहाना था उनकी हत्या की जिम्मेदारी माओवादियों ने स्वयं ले लिया था। माओवादियों का आरोप था कि लक्ष्मणानन्द धर्म के काम नहीं कर रहे थे। वे लोगों में नफरत फैला रहे थे, गरीबों की जमीन पर कब्जा कर रहे थे। फिलहाल कंधमाल के प्रशासन ने उत्पीड़ित ईसाईयों के उनके जमीन पर पुनः कब्जा दिलाने का काम प्रारम्भ कर दिया है। उड़ीसा की सरकार ने जिनके घर पूरी तरह जला दिये गये थे उन्हें 50000 रूपये तथा जिनके अधजले थे उन्हें 20000 देने की घोषणा किया है। उन घोशणाओं को अमली जामा पहनाने का कार्य प्रारम्भ है। इन पैसों को कई खण्डों में दिया जा रहा है। कैथोलिक तथा प्रोस्टेड चर्च पुर्नवास में सहयोग कर रहे हैं। कैथोलिक रिलीफ सेन्टर भी आर्थिक सहायता के साथ साथ शांति स्थापना में लगा है।

कंधमाल जनपद में ईसाईयों की संख्या 17 प्रतिशत के आस-पास है। सन 1968 से आदिवासी और दलितों में जो हिन्दू समाज में हजारों वर्षों से उपेक्षित रहे हैं ने ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया है। धर्म परिवर्तन करने वालों में आदिवासी से ज्यादा संख्या दलितों की है। आर0एस0एस0 के लोग यह दुःप्रचार कर रहे है की ईसाई मिशनरी प्रलोभन देकर हिन्दुओं को ईसाई बना रहे हैं। सीमनवाडी के हिन्दू युवक अन्तर्यामी इस बात की पुष्टि भी करते हैं, परन्तु कैथोलिक रिलीफ सेन्टर के निदेशक फादर जोसेफ कहते हैं कि मुझ पर यह झूठा आरोप कट्टरपंथियों द्वारा लगाया जा रहा है। आर0एस0एस0 परिवार द्वारा ईसाईयों को धमकी भी दी जा रही है कि तुम फिर से हिन्दू धर्म ग्रहण कर लो अन्यथा हम लोग तुम्हें जान से मार देंगे। इसके बावजूद भी कोई ईसाई धर्म छोड़ने को तैयार नहीं है। फादर कहते हैं कि प्रलोभन देकर यदि हम लोग ईसाई बनाये होते तो लोग जान देने को क्यों तैयार हो जाते। वे कहते हैं कि पिछले वर्षों में 1000 से अधिक ईसाईयों का सिर मुड़वाकर हिन्दू बनाया गया परन्तु 99 प्रतिशत लोग पुनः चर्च आने लगे हैं वे पुनः ईसाई बन गये हैं।

पिछले 28 जनवरी 2010 को मैं और अपने साथी विनोद आनन्द को लेकर शान्ति यात्रा के क्रम में कंधमाल जनपद पहुँच था। सीमनवाड़ी के कैथोलिक चर्च में पड़ाव डाला था। वहाँ से मैने पाँच गाँवो मे पहुंचकर लोगों से सम्पर्क किया। इनमें हिन्दू और इसाई दोनों थे। गाँव वालों को एकत्र करके मैने आधा-आधा घण्टा प्रत्येक गाँवो के लोगों को शान्ति का सन्देश दिया। लोगों को अपने किये का पछतावा भी था। कई लोग तो कहने लगे कि यहाँ तो धर्म गुरू कभी कभी आते हैं परन्तु दूसरे धर्म की बुराई करके चले जाते हैं। आप पहले सन्त है जो हम लोगों को अच्छी बात बता रहे है। गाँव वालों में तमाम का कहना था कि सन् 2008 में जो घटनायें हुई थी वह राजनीति से प्रेरित थी। इन लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए बुरा काम करवाया। हम लोग अब सतर्क है इस प्रकार की घटना अब नहीं होने देंगे। गाँवो में षान्ति का संदेष देने के लिए मुझे फादर मैथियास ने अपनी गाड़ी स्वयं ड्राइविंग करके पहुँचाया था। मेरे साथ में फादर जयन्त, अन्र्तयामी भी साथ में थे। सम्पर्क के क्रम में इन लोगों के साथ सीमनवाड़ी, कीरोवाड़ी, दतौरी,आदि गाँवों के सैकड़ो पुरुष,महिलाओं तथा गाँव के प्रमुखों से मिला। इनमें अन्र्तयामी हिन्दू युवक जो उड़ीसा और हिन्दी दोनों जानता है ने हमारी शान्ति के उपदेशों को ग्रामीण जनता को उड़िया भाषा में अनुवाद कर लोगों को समझाया।

इन्दिरागाँधी की हत्या के पश्चात सिक्खों का संहार, सन् 1992 में अयोध्या से बाबरी मस्जिद तोड़े जाने एवं उसके बाद वहाँ के 200 मुस्लिमों के घर को आग के हवाले करने तथा 16 मुस्लिमों को जिन्दा जलाने,गुजरात के मुस्लिम संहार जिसमें 2हजार से अधिक मुस्लिमों तथा उसके औरतों को जिन्दा जलाने, युवतियों के साथ बलात्कार करने, एवं कंधमाल के आदिवासी एवं दलित ईसाईयों कासंहार की घटनाओं की सदैव निन्दा होनी चाहिए।

कंधमाल की घटना में धर्म को सिर्फ हथकण्डे के रूप में इस्तेमाल कियागया। असल में वह दलित आदिवासी, पर हमला था। वह घटना असमानता और बढ़ाने के लिए थी। घटना ने प्रकृति प्रदत्त बेहद सुन्दरता पर कालिख पोत दिया है। वहाँ के लोग बाहर से देखने में जैसे हो परन्तु वे भीतर से बहुत सुन्दर है। वह निष्कपट है उनमें सादगी है परन्तु आर.एस.एस. परिवार ने सबको धूल में मिला दिया।
वहाँ के लोग आज भी मुहब्बत को जरिया बन सकते है। इस पवित्र कार्य का अंजाम मानव मूल्यों के प्रति, कबीर, दादू, रैदास के विचारों के प्रति एवं प्रभु ईशू के करूणा के प्रति समर्पित मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं सन्त ही दे सकते हैं। वहाँ आज ऐसे लोगों की महती आवश्यकता है।

लेखक: युगुल किशोर शरण शाष्त्री
संयोजक

‘‘अयोध्या की आवाज’’
जिला फैजाबाद (उ0प्र0)
मो0नं.ः 9451730269

29 अप्रैल 2010

यह अयोध्या का सद्भावना मंदिर है........

अयोध्या का सद्भावना मंदिर..........
बीते 7 मार्च 2010 को ‘‘अयोध्या की आवाज’’ एवं विश्व युवा सद्भावना परिषद के बैनर तले साझी विरासत पखवारा के समापन समारोह का आयोजन सरयू कुंज मंदिर में किया गया। इसमें वक्ताओं ने बड़े ही जोरदार शब्दो में आवाज उठाया कि अब इस मंदिर का नाम बदल कर सदभाव मंदिर कर दिया जाये क्योंकि अयोध्या में साम्प्रदायिक व छुआ छूत उन्मूलन के लिए यहाँ पर तमाम कार्यक्रम हो चुके हैं। इस मंदिर से हिन्दू मुसलमान बौद्ध, ईसाई सबका लगाव बढ़ चुका है। यहाँ पर वर्ण और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है।

अयोध्या के दुराही कुँआ में स्थित
सरयू कुंज मंदिर अन्य मठ मन्दिरों से अलग पहचान रखता है। पिछले लगभग 15 साल पूर्व हमारे मन और मस्तिष्क में कई दिनों तक एक ही सवाल गूँजता रहता थ कि ईश्वर को हम जगन्नाथ भी कहते हैं। वे सिर्फ हिन्दुओ के ही नहीं अपितु मुसलमान,सिक्ख, बौद्ध जैन, ईसाई सबके साथ हैं। इसके बावजूद मठ मन्दिरों में धर्म मजहब,वर्ण और जाति के आधार पर भेद क्यो किया जाता है। मैने इसका उत्तर ढूँढ़ निकाला कि भेदभाव इन्सान अपने क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति के लिए करता है ईश्वर और धर्म को तो वह हथकण्डे के रूप में इस्तेमाल करता है। मैने तभी से सारे इन्सानों के लिए अपने मंदिर का दरवाजा खोल दिया।

सरयू कुंज में विगत चार वर्षों से साल मे एकबार सर्वधर्म और जाति सहभोज कराया जाता है। इस में हिन्दू,मुस्लिम, ईसाई बौ(, सवर्ण दलित सैकड़ों की संख्या में एक साथ बैठक भोजन करते हैं। इसमें महिलायें भी शामिल होती है। इस मंदिर के विशाल कक्ष एवं प्रांगण में साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए छुआ छूत उन्मूलन के लिए आधा दर्जन से अधिक सेमिनार व गोष्ठियां आयोजित हो चुकी हैं। 20अगस्त 2005, 6 दिसम्बर 05, 1जून 06, 24 सितम्बर 06, 27 अक्टूबर 06, 8 अप्रैल 07, 7 मार्च 2010 में शान्ति सद्भाव एवं मानव एकता के कार्यक्रम हो चुके हैं।

सरयू कुंज मंदिर में विगत 15 वर्षो पूर्व से वर्ण व्यवस्था के आधार पर जो अस्पृश्य माने जाते हैं उन्हें पुजारी और रसोइया रखे है। इनमें एक बौद्ध भिक्षु हैं जो दलित परिवार में पैदा हुए हैं। जापानी बौद्ध भिक्खु से-की-गुच्ची को तीन वर्षों तक इस मंदिर ने रहने के लिए ठौर दिया। वे यहाँ रहकर साधना करते थे। से-की-गुच्ची के यहँ ठौर देने के कारण अयोध्या के कट्टरपंथियों ने मेरा खासा विरोध किया। उन लोगों के दबाव में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक फैजाबाद कार्यालय से मेरे पास नोटिस पहुँची। इसके बावजूद मैं भिक्खु को रहने के लिए अड़ गया। प्रशासन को अपनी नोटिस वापस लेनी पड़ी।

अभी तक देश के तमाम नाचीचीन हस्तियाँ आकर शान्ति सद्भाव एवं मानव एकता के लिए
सरयू कुंज मंदिर में बैठके कर चुके हैं। इनमें एडमिरल विष्णु भागवत पूर्व नौ सेना अध्यक्ष,प्रो. रामपुनियानी इन्दिरा गाँधी सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित, पूर्व आई0जी0 एस.आर.दारापुरी अर्जक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुनाथ सिंह यादव प्रमुख है। इस मंदिर में कारगिल, गुजरात आदि प्रान्तों के तमाम मुस्लिम धर्म के अनुयायी रात्रि विश्राम कर चुके हैं। कई मुस्लिम छात्र भी यहाँ रहकर शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं। ०६ दिसम्बर 92 को विनोबा जी की मानसपुत्री सुश्री निर्मलादेश पाण्डेय यही ठहरी हुई थी। उनके साथ भूदान यज्ञ के दर्जनों कार्यकत्र्ता थे।

उत्तर भारत के प्रसिद्ध मंदिर अयोध्या के हनुमानगढ़ी एवं विवादित रामजन्मभूमि में जब दलित पुजारी रखने की माँग उठी थी उन दिनों अभियान का मुख्य केन्द्र
सरयू कुञ्ज मंदिर ही था। भक्ति आन्दोलन मंच का यहाँ कार्यालय भी था। तुलसी उद्यान अयोध्या में एक होर्डिंग लगायी गयी थी जिसमें शूद्रो के प्रति अपमानजनक शब्दों का प्रयोग था। उसके विरुद्ध इसी मंदिर को केन्द्र बनाकर संर्घष किया गया था। अन्त में प्रशासन को होर्डिंग काली स्याही से पुतवाना पड़ा था। सरयू कुञ्ज मंदिर लगभग ७० साल पुराना है। इसमें राम जानकी मंदिर और हनुमान जी के विग्रह स्थापित है। इस मंदिर से बाराबंकी ,अम्बेडकरनगर विहार के जिले के गाँवो के लोग जुड़े हुए हैं। यह पूर्णतः आकाशवृत्ति पर आधारित है। मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय पिछले तीन चार वर्षों से इसे सर्वधर्म केन्द्र के रूप में विकसित करने की सोच रहे हैं। उनकी इच्छा है कि यहाँ संदर्भ केन्द्र भी बने जहाँ हर धर्म और मजहब का ग्रन्थों सहित साम्प्रदायिक सद्भाव एवं मानव एकता पर आधारित पुस्तकें यहाँ सहजता से लोगों को उपलब्ध हो सके। संदीपकी यह अच्छा वास्तव में अयोध्या की साझी विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। उससे अयोध्या के ही नहीं अपितु भारत के गंगा जमुनी तहजीब की मजबूत मिलेगी। वे चाहते हैं कि सरयू कुञ्ज मंदिर को पुनुरुधार कर ऐसा कक्ष निर्माण हो जिसमें अलग-अलग धर्म और मजहब के लोग अपने-अपने तरीके से पूजा-पाठ इबादत एवं साधना कर सके। सभी के रहने की भी व्यवस्था है। इस मंदिर से अन्य लोग भी प्रेरणा ग्रहण करें यही अपेक्षा है।

युगलकिशोर शरण शाष्त्री, मो0नं0 9451730269
(लेखक: सरयू कुज मंदिर के सर्वहकार व महंथ है)

24 अप्रैल 2010

अयोध्या की आवाज

अयोध्या की आवाज एक संक्षिप्त परिचय

( + यु ) यानि अयोध्या इसका स्पष्ट मतलब है जहाँ यु हिंसा, रक्त-पात, तनाव, दंगा नरसंहार नहीं होता है। यानि जहाँ से सारी दुनिया को अमन-चैन, सदभाव, मानव एकता बन्धुत्व, प्यार मोहब्बत सहित तमाम अच्छाइयों का पैगाम हर गाँव, कस्बा, शहर, प्रान्त देश और दुनिया को मिले वही अयोध्या है।
सन् 1984 से साम्प्रदायिक तत्वों ने अयोध्या से दंगा फसाद, नरसंहार का सन्देश सारी दुनिया को देने का षडयन्त्र रचा। वह भी श्री राम के नाम पर और हिन्दू धर्म के नाम पर। साम्प्रदायिक तत्वों का यह आतंक लोगों के दिलों दिमाग में इस कदर भर दिया गया कि आम जन धर्म का मतलब दंगा, हिंसा, अमानवीयता के रूप में जानने लगे।दिसम्बर 1992 में बाबरी मस्जिद तोड़ी गयी निर्दोष मुसलमानों के घर जलाए जाने लगे। 14 लोगों को जिन्दा जला दिया गया उन दिनों मानवता कराहने लगी थी। ऐसे समय में जन समूह की सात्विक ऊर्जा कही "अयोध्या की आवाज" के नाम से प्रकट हुआ। यह संस्था आज अमन-चैन और साम्प्रदायिक सद्भाव का पैगाम पूरे देश को दे रही है।
"अयोध्या की आवाज" संस्था को अमली जामा पहनाने में मैग्ससे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय का अहम् योगदान रहा है। सन् 2002 में कुछ साथियों को बिठाकर उन्होनें अमन चैन के लिए एक संस्था के गठन करने का सुझाव दिया। जिसे उनके साथियों ने स्वीकार करते हुए अयोध्या की आवाज के नाम से साम्प्रदायिकता के विरुद्ध अभियान चलाने का निर्णय ले लिया। वर्तमान समय में उक्त संस्था को दो संस्थापक संदीप पाण्डेय एवं युगलकिशोर शरण शास्त्री अपना अमूल्य समय का योगदान देकर इस कारवां को आगे बढ़ाने में योगदान कर रहे हैं। इस संस्था के संस्थापक श्री शास्त्री को अयोध्या के कट्टरपंथियों से तमाम बार मुकाबला करना पड़ा। कई शास्त्री जी को जान से हाथ धोने की स्थिति पैदा हो गयी थी परन्तु उन्होंने बहादुरी से सामना किया।
"अयोध्या
की आवाज" सतत् सक्रिय संस्था है। अभी तक संस्था पूरे देश को अमन-चैन और सदभाव का सन्देश देने में सफल रहा है। सन् 2002 के बाद आर.एस.एस. परिवार के साम्प्रदायिक संगठनों ने जब भी अमन-चैन बिगड़ने का प्रयास किया उसे इस संस्था ने माकूल जवाब दिया। "अयोध्या की आवाज" के बैनर तले अभी तक 5 दर्जन से अधिक सेमिनार,पोस्टर,अभियान, गोष्ठियाँ एवम् अन्य कार्यक्रम हो चुके हैं। इस संस्था के बैनर तले मुख्य अतिथिव विशिष्ट अतिथि या मुख्यवक्ता के रूप में देश के नामचीन समाजिक हस्तियों का आगमन हो चुकाहै इनमे से प्रमुख हैं - असगर अली इन्जीनियर (राईट लवली हुडद्ध से सम्मानित मुम्बई), प्रो.राम पुनियानीइन्दिरा गाँधीसद्भावना पुरस्कार से सम्मानित मुम्बई), शबनम हाशमी, इरफान अली इन्जीनियर (राईटलवलीहुड वैकल्पिक नोबेल पुरस्कारद्ध से सम्मानित मुम्बई), दिगन्त ओझा अहमदाबाद, मा.वी.एन.रायकुलपति अन्तर्राष्ट्रीय गाँधीविश्वविद्यालय वर्धा ;महाराष्ट्रद्ध)., मा.एस.आर.दारापुरी पूर्व आई.जी. लखनऊ, शीतलासिंह ( यश भारती पुरस्कार सेसम्मानित फैजाबाद), अनिल चमड़िया नई दिल्ली, रघु ठाकुर समाजवादी चिन्तक, मेघा पाटकर, पूर्वनौसेनाअध्यक्ष एडमिरल विष्णु भागवत मुम्बई, संदीप पाण्डेय मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध लखनऊ, सुभाष गाताड़े, नईदिल्ली, अजीत शाही तहलका पत्रिका माता प्रसाद पाण्डेय पूर्व विधान सभाध्यक्ष, 0प्र० आदि।
यूँ तो अयोध्या की आवाज द्वारा दर्जनों कार्यक्रम कराये जा चुके हैं जो सभी कार्यक्रम अपने सद्भाव के लक्ष्य कों प्राप्तकरने पर बड़े स्तर पर सफल रहा है, परन्तु सन् 2007 का कबीर सद्भाव पद यात्रा जो अयोध्या से मगहर तकलगभग तीन दर्जन साथियों के साथ निकाला गया था तथा 06 दिसम्बर को अयोध्या से अजमेर तकसाम्प्रदायिकता एवं छुआ छूत उन्मूलन हेतु कारवाँ--अमन ऐतिहासिक रहा है। 30 31 जनवरी 09 कोकबीरमठ अयोध्या में राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव सम्मेलन आयोजित किया गया था जो कभी विस्मृत होने वालानहीं है। इसमें 18 प्रान्तों के सामाजिक कार्यकत्र्ता शामिल थे। सन् 2002 में बड़ी जगह में सद्भावना के लिएविशाल सभायें करायी गयी वह अविस्मरणीय रहेगा।
अयोध्या की आवाज संस्था में सिर्फ एक संयोजक और एक सहसंयोजक होता है। स्थापना काल से अभी तकयुगल किशोर शरण शास्त्री संयोजक है। इस संस्था में चूँकि कोई पदाधिकारी नहीं होता इसलिए जो भी निर्णयलिया जाता है वह सामूहिक आधार पर लिया जाता है। वर्तमान में संस्था के कुल 100 कार्यकत्र्ता है। इनमें जोंअधिक समय देते हैं उनमें प्रमुख हैं - युगल शरण किशोर शास्त्री, सम्राट अशोक मौर्य, आलोक निगम, कु0भारतीसिंह, मु. तुफैल, राजेशनन्द, विनोद कुमार आनन्द, सुरेन्द्रओझा, मो0हसन, भानु प्रताप सिंह, भन्तेरठपाल, राममिलन शरण, अरूण मौर्य, अनीस वारसी आदि।


अयोध्या की आवाज द्वारा साम्प्रदायिक सद्भाव एवं मानव एकता के लिए किये गये कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण:-

1. 1 अक्टूबर 2002 से दिसम्बर पर्यन्त साम्प्रदायिकसद्भाव के 5 हजार स्टीकर चिपकाये गये।
2. 21 दिसम्बर 2002 में बड़ी जगह अयोध्या में विशाल समारोह। मुख्य अतिथि - श्री वी.एन.राय अपरपुलिसमहानिदेशक,.प्र. इसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय,शीतला सिंह तथासैकड़ोंसंत महंथ शामिल थे।
3. 29 फरवरी 2004 दिन रविवार को दिगम्बर जैन मंदिर कटरा अयोध्या मंे अयोध्या की आवाज के बैनरतलेसेमिनार। मुख्य अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अक्षय ब्रह्मचारी एवम् वक्तागण - शीतला सिंहसम्पादकजनमोर्चा, फैजाबाद,कैप्टन अफजाल फैजाबाद एवं बाबा भवनाथ दास हनुमानगढ़ी,फैजाबाद।
4. 16 मार्च 2004 को राम कचहरी चारों धाम में अयोध्या की आवाज के बैनर तले धर्म का दुरूपयोगपरसेमिनारमुख्य अतिथि - श्री वी.एन.राय अपर पुलिस महानिदेशक .प्र.,मुख्य वक्ता-मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीपपाण्डेय, रामपुनियानी मुम्बई, दिगन्त ओझा अहमदाबाद, शीतला सिंह फैजाबाद आदि। अध्यक्षता श्री रामलला केवरिष्ठपुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास।
5. 14 मार्च से 16 मार्च 2004 तक जानकी महल ट्रस्ट अयोध्या के हाल में सद्भाव प्रशिक्षण शिविर काआयोजनअयोध्या की आवाज’’ के तत्वाधान मंे, प्रशिक्षक थे रामपुनियानी मुम्बई।
6. 27 अक्टूबर 2004 को तुलसी स्मारक भवन रायगंज,अयोध्या में राष्ट्रीय सेमिनार। मुख्य अतिथि - असगरअली इन्जीनियर राईट लबली हुड से सम्मानित, विधान सभाध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, राज्यमंत्री .प्र. सरकारश्री अम्बिका प्रसाद चैधरी,विशिष्ट अतिथि। वक्ता के रूप मंे मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय, अरून्धतीघुरू वसिमन्तनी घुरू समाज सेविका थीं।
7. 06 दिसम्बर 2004 को राम की पैड़ी अयोध्या में गाँधी प्रतिमा के सामने सद्भाव प्रार्थना। मुख्य अतिथि - संदीपपाण्डेय, वक्ता-शीतला सिंह, पत्रकार, फैजाबाद।
8. 09 अगस्त 2004 को सद्भाव यात्रा के लिए पधारे मुम्बई से युसूफ मेहर अली यात्रा का स्वागत एवं गोष्ठीकाआयोजन अयोध्या की आवाज के बैनर तले मुख्य अतिथि संदीप पाण्डेय लखनऊ। वक्ता शीतला सिंहसम्पादकजनमोर्चा दैनिक,फैजाबाद।
9. 13 मार्च 2005 को तुलसी स्मारक भवन,रायगंज,अयोध्या में विशाल सेमिनार। परिचर्चा का विषय-’ साम्प्रदायिक सद्भाव। यह राष्ट्रीय सम्मेलन था जिसमंे 0प्र0, दिल्ली, मध्यप्रदेश एवं बिहार के लोग भीशामिलथे। मुख्य वक्तागण - रघुठाकुर समाजवादी चिन्तक, शबनम हाशमी अनहद संस्था, इरफान अलीइन्जीनियरमुम्बई, शीतला सिंह फैजाबाद एवम् मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय। यह राष्ट्रीय सेमिनार दो सत्रोंमंेसम्पन्न किया गया।
10. 1 नवम्बर 2005 से 10 नवम्बर 2005 तक साम्प्रदायिक सद्भाव हेतु हैण्ड-बिल का वितरण।
11. 06 दिसम्बर 05 को चन्द्रा गेस्ट हाउस अयोध्या में राष्ट्रीय सद्भावना गोष्ठी मुख्य अतिथि - शबनमहाशमीअनहद, मुख्य वक्तागण - मैग्ससे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय, शीतला सिंह रामपुनियानी मुम्बई। इसकेएकदिन पूर्व दो दिनों का सद्भाव प्रशिक्षण शिविर लगाया गया था। इसमंे मुख्य प्रशिक्षक राम पुनियानी थेऔरअध्यक्षता विवादित राम जन्म भूमि के पुजारी सत्येन्द्र दास थे। यह सम्पूर्ण कार्यक्रम अयोध्या की आवाजएवंअयोध्या सद्भाव संस्था के बैनर तले कराया गया था। 06 ‘‘
12. 06 दिसम्बर 2005 को कबीर मठ जीयनपुर में सद्भाव दिवस पर सेमिनार। मुख्य अतिथि - मैग्सेसेपुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय इस सेमिनार मंे दिल्ली के फैजल खान आशा परिवार भी उपस्थित थे। कार्यक्रमअयोध्या की आवाज के बैनर तले कराया गया। इस अवसर पर अयोध्या की आवाज द्वारा प्रकाशित एवम् युगलकिशोर शरण शास्त्री द्वारा सम्पादित सद्भाव स्मारिका का लोकार्पण।
13. 06 दिसम्बर 2005 को प्रातः 09 बजे राम की पैड़ी अयोध्या में गाँधी प्रतिमा के सामने सद्भाव प्रार्थनाअयोध्या की आवाज के बैनर तले। मुख्य अतिथि शीतला सिंह, मैग्ससे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय।
14. सन् 2005 में दिसम्बर 2005 मंे माह भर पोस्टरों के माध्यम से धर्म के नाम पर की जा रही राजनीति काविरोध किया गया अयेाध्या की आवाज के बैनर तले।
15. सन् 2005 में सद्भाव स्मारिका का प्रकाशन अयोध्या की आवाज द्वारा
16. 27 अगस्त 2006 को सायं 06 बजे सरयूकुज दुराही कुँआ अयोध्या में अयोध्या की आवाज के बैनर तलेगोष्ठी। मुख्य अतिथि एडमिरल विष्णु भागवत पूर्व नौसेनाध्यक्ष मुम्बई। राम पुनियानी मुम्बई एवं संदीप पाण्डेयमुख्य वक्ता थे।
17. 15 नवम्बर 2006 से 05 दिसम्बर 2006 तक साम्प्रदायिक सद्भाव एवं अस्पृश्यता निवारणार्थ 500 लोगोंद्वारा संकल्प पत्र भरवाया गया।
18. 06 दिसम्बर 2006 को अयोध्या की आवाज के बैनर तले, वशिष्ठ पब्लिक स्कूल,अयोध्या में सद्भाव परपरिचर्चा। मुख्य अतिथि सूफी सन्त, निजामुद्दीन दरगाह दिल्ली के साहेबजादा सैय्यद नाजिम अली निजामी, मुख्य वक्ता आमोद कुमार जिलाधिकारी फैजाबाद,मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय, महन्त भवनाथ दास, सम्पादक शीतला सिंह,फैजाबाद आदि।
19. 19 जनवरी 2008 को अयोध्या की आवाज के बैनर तले फैजाबाद मंे विभिन्न सामाजिक संगठनों केप्रतिनिधियों की बैठक कर शहीद फौव्वारा फैजाबाद में सिंध प्रान्त के साम्प्रदायिक शासक राजा दाहिर सेन कीप्रतिमा लगाने का विरोध किया। इस संबंध मंे जिलाधिकारी से मिलकर दाहिर सेन की मूर्ति तत्काल हटाने कीमांग किया।
20. 07 मार्च 2007 से 14 मार्च 2007 तक शास्त्री जी के नेतृत्व में अयोध्या की आवाज के बैनर तले मानव
सद्भाव हेतु पत्रक वितरित किये गये। मगहर की सभा में मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय,विचार साहेब अध्यक्षमगहर कबीर मठ एवम् कबीर मठ जीयनपुर के सचिव उदार साहेब भी उपस्थित होकर सभा का सम्बोधन किया।
21. 08अप्रैल 2007 को शास्त्री जी के संयोजकत्व मंे अयोध्या की आवाज के बैनर तले सरयूकुज अयोध्या मेंअस्पृश्यता निवारणार्थ सर्वधर्म सहभोज तथा सभा की अध्यक्षता बार एसोसिएशन फैजाबाद के पूर्व अध्यक्ष श्रीशिव प्रसाद यादव ने किया।
22. 17 जून से 29 जून 2007 तक अस्पृश्यता निवारण,मानव एकता एवम् सर्वधर्म सद्भाव के लिए 35 हजारविभिन्न जिलों जैसे फैजाबाद, बस्ती, सुल्तानपुर एवं अम्बेडकरनगर में स्टीकर लगाये गये।
23. 2 अक्टूबर 2007 को महात्मागाँधी जयन्ती पर श्री शास्त्री जी के नेतृत्व में सर्वधर्म सद्भाव संगम का सरयूकुजअयोध्या के प्रांगण में एक ही मंच से क्रमशः शान्ति हेतु ईसाईयों द्वारा ईशु प्रार्थना, वैष्णव सन्तों द्वारा हनुमानचालीसा पाठ, कबीरपन्थी सन्तों का कबीर का बीजक पाठ एवम् मुसलमानों द्वारा कलमा पाठ, रोजा इफ्तार एवम्इसके पूर्व सद्भाव मानव एकता पर गोष्ठी जिसमें मैग्सेेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय, अर्जक संघ के राष्ट्रीयअध्यक्ष रघुनाथ यादव,आफताब एडवोकेट आदि भी उपस्थित थे।
24. 04 दिसम्बर 2007 को 2 बजे दिन में श्री शास्त्री जी द्वारा सद्भाव मिलन यात्रा अयोध्या के विभिन्न मुहल्लों तकऔर वहाँ पर गोष्ठियाँ। इस यात्रा में बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाशिम अंसारी, . भवनाथ दास सहित अयोध्या कीआवाज संस्था के दो दर्जन कार्यकत्र्ता शामिल थे।
25. 05 दिसम्बर 07 के मानव एकता अस्पृश्यता उन्मूलन साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए शावेस मदरसाकजियाना,अयोध्या में सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. अनिलचमड़िया, नई दिल्ली एवम् मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय लखनऊ।
26. 07 दिसम्बर से 30 दिसम्बर 07 तक साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए 36 पृष्ठीय पुस्तक हिन्दू मुस्लिम एकता कोअयोध्या सहित फैेजाबाद जनपद के शहर,गाँव कस्बों तक डेढ़ हजार पुस्तकों का वितरण कराया गया। इसपुस्तक के प्रकाशक पूर्व नौ सेनाध्यक्ष एडमिरल विष्णु भागवत एवम् भरत डोगरा लेखक हैं। इन्होंने अयोध्या कीआवाज के संस्थापक युगल किशोर शरण शास्त्री को निःशुल्क वितरण हेतु दिया था।
27. 14 जनवरी 2008 को फैजाबाद के फाॅब्र्स इण्टर कालेज में साम्प्रदायिक सद्भाव एवम् मानव एकता हेतुअमन महोत्सव का आयोजन। मुख्य अतिथि - राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित श्री राम पुनियानी एवमविशिष्ट अतिथि मैग्सेेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय, लखनऊ एवम् मा.वी.एन.राय अपर पुलिस महानिदेशक.प्र. थे। अध्यक्षता फैजाबाद के सुप्रतिष्ठित व्यक्ति गुलाम मोहम्मद ने किया। साम्प्रदायिक सद्भाव एवम् मानवएकता एवम् समता के लिए दलित साहित्यकार आर.डी.आनन्द एवम् शाह आलम को सम्मानित किया गया।
28. 15 जनवरी से 04 फरवरी 08 तक साम्प्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए 4 हजार से अधिक पोस्टरों कागाँव, कस्बों फैजाबाद शहर के अलावा लखनऊ,बस्ती,आजमगढ़ आदि जनपदों में वितरण। इस पोस्टर परबाबरी मस्जिद के फीगर सहित आसिफ नकवी की शायरी है
29. 19 जनवरी 2008 को फैजाबाद में अशफाक उल्ला खाँ फौव्वारा चैक में साम्प्रदायिक शासक राजा दाहिर सेनकी प्रतिमा लगाने परअयोध्या की आवाजके संस्थापक श्री शास्त्री जी द्वारा जबरदस्त विरोध।
30. 20 मार्च 2008 को अयोध्या में सरयूकु´ मंदिर के सामने अयोध्या की आवाज संस्था के बैनरतले सैकड़ोंलोगों द्वारा हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए बारावफात के जुलूस पर पुष्पवर्षा की गयी और गले से गले मिलन काकार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम का नेतृत्व श्री युगलकिशोर शरण शास्त्री ने किया।
31. अयोध्या की आवाज के बैनर तले श्री शास्त्री के नेृतत्व में 22 मार्च 2008 को रिकाबगंज चैराहा फैजाबाद मेंतमाम लोगों द्वारा पुष्पवर्षा की गयी तथा छोले का वितरण किया गया।
32. अप्रैल 2008 में अयोध्या में साम्प्रदायिक भावना भड़काने वाली सी.डी. पर रोक की माँग उठाया।
33. अयोध्या की आवाज के तत्वाधान में पत्रकारिता प्रशिक्षण संस्थान फैजाबाद में आतंकवाद और इस्लाम परसेमिनार कराया गया। इसके मुख्य आयोजक श्री शास्त्री जी ही थे।
34. 16 जून 2008 को बार एसोसिएशन फैजाबाद के वकीलों द्वारा साम्प्रदायिक माहौल बनाने का विरोध कियागया
35. 31 जुलाई 2008 तक आतंकवाद मिथक और यथार्थ पर जनपद फैजाबाद एवम् सुल्तानपुर में 18 स्थलों परप्रदर्शनी इस प्रर्दशनी से अमन-चैन कायम करने में काफी मदद मिली। यह प्रदर्शनी 26 27 जुलाई 08 को भीअयोध्या की आवाज के बैनरतले झण्डेवाला पार्क गढ़वाल भवन दिल्ली में लगायी गयी।
36. मार्च 2008 से अयोध्या की आवाज की ओर से संदर्भ केन्द्र खोला गया है। इसके माध्यम से पूरे देश मेंसाम्प्रदायिक सद्भाव पर आधारित पुस्तकें प्रचार प्रसार की जाती हैं।
37. 05 सितम्बर 08 को अयोध्या की आवाज द्वारा सााधु सन्तों से हस्ताक्षर कराकर बजरंग दल पर प्रतिबंधलगाने की मांग की गयी।
38. 5 अक्टूबर 2008 को फाॅब्र्स इण्टर कालेज,फैजाबाद में आतंकवाद का सच विषय पर विशाल सम्मेलन।मुख्य अतिथि सुभाष गाताड़े एवं अजीत शाही तहलका पत्रिका एवं विशिष्ट अतिथि दारापुरी साहेब।
39. 6 दिसम्बर 2008 को सर्वधर्म सद्भावप्रार्थना सभा। स्थल शावेश मदरसा,अयोध्या। मुख्य अतिथिएस.आर.दारापुरी साहेब, पूर्व आई.जी., अध्यक्षता 0 उदार साहेब कबीरमठ जीयनपुर, इस सभा मेंहिन्दू,मुस्लिम, कबीरपंथी एवं अन्य धर्मो के लोगों ने अलग-अलग शांति पाठ किया।
40. 10 जनवरी 2009 को भारत-पाक मैत्री अमन के लिए सन्त सभा आयोजित की गयी। अध्यक्षता 0 भवनाथ दास, हनुमानगढ़ी, कार्यक्रम स्थल रामबाग हनुमानगढ़ी,अयोध्या।
41. 30 -31 जनवरी 09 को महात्मागांधी की पुण्यतिथि पर अयोध्या की आवाज के तत्वाधान में कबीरमठजीयनपुर अयोध्या में राष्ट्रीय साम्प्रदायिक सद्भाव सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें 18 प्रान्तों केसामाजिक कार्यकत्र्ता उपस्थित थे। मुख्य अतिथि संदीप पाण्डेय थे।
42. 10 अप्रैल 09 को पंचदिवसीय साम्प्रदायिक सद्भाव प्रशिक्षण शिविर का आयोजन सरदार भगत सिंह छात्रावासअयोध्या में किया गया था। इसमंे मुख्य अतिथि के रूप में असगर अली इन्जीनियर,प्रो0 रामपुनियानी,इरफानअली इन्जीनियर, मैग्सेसे पुरस्कारलब्ध संदीप पाण्डेय ने सम्बोधित किया।
43. 10 जून 2009 से एक पखवारा तक अयोध्या सहित पूरे उत्तर प्रदेश में सद्भाव अभियान पखवारा अयोध्या कीआवाज की ओर से मनाया गया। इस अभियान में 20000स्टीकर साम्प्रदायिकता एवं छुआछूत के विरोध में उत्तरप्रदेश के लगभग 2 दर्जन जिलो में विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर चिपकाया गया।
44. 08 अगस्त 2009 को सरयू कु´ अयोध्या में अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए सहभोज एवं गोष्ठी का आयोजनकिया गया।
45. 15 से 30 अगस्त 2009 तक अस्पृश्यता उन्मूलन अभियान प्रारम्भ किया गया। इस अवसर पर छुआछूत केविरोध में पूरे प्रान्त में 10000 स्टीकर चिपकाये गये।

* 24 सितम्बर 2009 को फैजाबाद में ईदमिलन समारोह आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप मेंपूर्वपुलिस महानिदेशक एस.आर.दारापुरी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप मंे जमात-- इस्लामी हिन्द पूर्व 0प्र0 केचेयरमैन वलीउल्लाह फलाही ने भी सम्बोधित किया।

* 06 दिसम्बर से 12 दिसम्बर तक साम्प्रदायिकता एवं छुआछूत उन्मूलन के लिए कारवां--अमन अयोध्यासेअजमेर तक निकाला गया। जिसका नेतृत्व युगलकिशोर शरण शास्त्री ने किया था।

* 15 दिसम्बर 2009 को फैजाबाद जनपद 0प्र0 के कुचेरा एवन मीठे गाँव मंे ग्रामीणों के सहयोगसेसाम्प्रदायिकता एवं छुआछूत के विरोध में सभायें की गयी.
रिपोर्ट प्रस्तुतिकरण: महंत युगुल किशोर शरण शाष्त्री

दोराही कुआँ, सरयू कुञ्ज, अयोध्या