7 जनवरी 2013
सांप्रदायिक ताकतों का चलेंज स्वीकार है ... " शाश्त्री "
अयोध्या से कन्याकुमारी तक “सिटीजन हार्मोनी वाक“ यात्रा से लौटे चिश्ती
हार्मोनी अवार्ड से सम्मानित एवं बाबरी मस्जिद विध्वंस प्रकरण में सीबीआई
के 16वें गवाह युगलकिशोर शरण शास्त्री ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि बीते
दिनों अमर शहीद
अशफाक और
पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल की शहादत दिवस पर हुए तीन दिवसीय छठे अयोध्या
फिल्म फेस्टीवल अवाम का सिनेमा पर साम्प्रदायिक ताकतों का हमला अत्यन्त
निन्दनीय घटना है। अवाम का सिनेमा देश के कई हिस्सों में ऐसे आयोजन के
माध्यम से साझी विरासत की सोच को मजबूती प्रदान कर रहा है। पिछले 6 वर्षों
से यहाँ भी फिल्म फेस्टीवल आयोजित होता रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में
युवाओं, सामाजिक और
सांस्कृतिक कार्यकत्ताओं की भागीदारी रहती है। साम्प्रदायिक ताकतों ने इस
आयोजन पर हमला करके हमारी विरासत के ताने-बाने को नष्ट करने का असफल प्रयास
किया है। यह कृत्य हमारे देश की धर्म निरपेक्षता पर सीधा हमला है जो हमारे
संविधान का प्रमुख अंग है। यह ताकतें अयोध्या की साझी विरासत को तोड़ने की
साजिश रच रही है। जनता इनकी सारी करतूतों को समझ चुकी है। हम लोग अयोध्या
की विरासत
हर हाल में मजबूत करेंगे और यात्राओं के माध्यम से इन ताकतों का पर्दाफाश
भी कर रहे हैं। यह साम्प्रदायिक ताकतें देश की एकता, अखण्डता को चूर-चूर
करना चाहती हैं, जिसे हम सफल नहीं होने देगें। हम यह जानते हैं कि देश को
खतरा इन्हीं ताकतों से है। शास्त्री ने कहा कि यह देश विशाल इसलिए है कि यह
धर्म निरपेक्ष है जिस दिन धर्म निरपेक्षता टूट जायेगी। उस दिन देश की
एकता, अखण्डता भी खत्म
हो सकती है। ये ताकतें जाति, मजहब के नाम पर समाज को बाँटने की असफल
प्रयास कर रही हैं। इन पर हमारी पैनी नजर है। भारत की स्वतन्त्रता आन्दोलन
में इनका कोई योगदान नहीं रहा है। यह लोग राष्ट्रवाद का इस्तेमाल कर हमेशा
राष्ट्रविरोधी कृत्य को अंजाम दिया है। यही कारण है कि काकोरी काण्ड के
नायकों की याद में होने वाले कार्यक्रम में खलल डालने का प्रयाास करने में
लगे हैं। अवाम सिनेमा
का कार्यक्रम जनसरोकारों पर केन्द्रित था किसी भी धर्म और मजहब के विरूद्ध
नहीं। लेकिन साझी विरासतों के दुश्मनों को यह पच नहीं रहा है। हम इनके
चैलेन्ज को स्वीकार करते हैं।
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