16 नवंबर 2010

रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद

रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद
( मिथक एवं तथ्य)


प्रकाशक
अयोध्या की आवाज एवं आशा परिवार
सरयू कुज दुराहीकुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद, उ0प्र0, 224123

रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद
( मिथक एवं तथ्य)

प्रधान सम्पादक: प्रो. राम पुनियानी
सम्पादक: युगलकिशोर शरण शास्त्री
सह-सम्पादकः राजेश नन्द
पताः सरयू कुज दुराहीकुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद,उ0प्र0, 224123
मो.नं. 09451730269



प्रस्तावना

भारत पर लम्बे समय तक कब्जा जमाये रखने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति का अनुसरण किया। इन्होंने अपने रणनीति के तहत ऐसे विकृत इतिहास को परोसा जिससे यहाँ के लोग मिलजुल कर न रहने पाये। वह यहाँ से अपना आसन लेकर चले गये परन्तु अपने गुर्गों को यहीं छोड़ गये। उनके गुर्गे आज भी अपने उस्ताद की नीतियों का अनुसरण करते हुए नये -नये विकृत इतिहास रच रहे हैं जिसे तथ्यों से कोई ताल्लुक नहीं है। यह विकृत एवं मनगढ़न्त इतिहास लोगों को भ्रम की स्थिति में छोड़ने में कामयाब रहा है। यह इतिहास यदि रचा नहीं गया होता तो शायद महात्मा गाँधी की हत्या नहीं होती, बाबरी मस्जिद नहीं तोड़ी जाती, गोधरा काण्ड के पश्चात गुजरात में मुस्लिम संहार नहीं होता। इसके अलावा भी भारत में तमाम दंगे हुए जिसमें मानवता की भारी क्षति पहुँची है उससे बचा जा सकता था।
अयोध्या के रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद मसले पर अंग्रेजों के गुर्गों द्वारा रचित इतिहास का न सिर है न पाँव। यह लाखों लोगों में वितरित किये जा चुके हैं। इसे पढ़कर तरस भी आती है। इन गुर्गों के इतिहास से ऐसा लगता है कि अयोध्या की पूरी धरती खून से लथपथ है। इस मनगढ़न्त इतिहास को द्वेष बीज में इस्तेमाल कर समाज को संगठित होकर मूल समस्या से संधर्श करने की षक्ति को कमजोर कर दिया है।
भारत के जमींदार एवं सामन्तों ने शोषण एवं अमानवीयता को ढ़कने के लिए धर्म को सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल किया। आज पूँजीपति और भगवा गिरोह गठबन्धन द्वारा यही काम किया जा रहा है। यह गिरोह झूठ फरेब एवं भ्रम फैलाकर सच्चाई की राह को मिटाने का प्रयास कर रहा है। इनके झूठेे नाकाब को चेहरे से उतारना होगा।
भगवा गिरोह साधु सन्तों एवं हिन्दू समाज को भी हथकण्डे के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। इसके साथ 15 प्रतिशत भी न तो साधु है और न ही हिन्दू समाज के लोग ही। अपनी सभाओं में वे सभी निर्णय स्वयं लेते हैं और साधु सन्तों का निर्णय बताते हैं। ये बातें ऐसी करते हैं जैसे पूरे हिन्दू समाज के ठेकेदार हैं। इनके इस तकिया कलाम पर लगाम लगाने की जरूरत है।
इस पुस्तिका का उद्देश्य है इतिहास के सही तथ्यों को रखकर साम्प्रदायिक ताकतों के कारनामों का पर्दाफाश करना, जिससे देश में प्रेम मोहब्बत, भाईचारा, समता, ममता,बन्धुता और एकता को बढ़ावा मिल सके।
युगलकिशोर शरण शास्त्री
सरयू कुज दुराहीकुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद, उ0प्र0, 224123



2 टिप्‍पणियां:

Tausif Hindustani ने कहा…

आपके इस लेख पढ़ कर मुझे मसूस हुआ की अभी हिंदुस्तान में सच्चाई का गला घोटना नामुमकिन है
आपके इस लेख और पुस्तक को सलाम
dabirnews.blogspot.com

Randhir Singh Suman ने कहा…

http://loksangharsha.blogspot.com/2010/11/2.html