22 जुलाई 2013



 सरयूकुज मंदिर में 'परिचर्चा' एवं 'रोज़ा इफ्तार’कार्यक्रम 

                         अयोध्या, 22 जुलाई,साझी संस्कृति की धर्मनगरी अयोध्या में स्थित रामजानकी सरयूकुज मंदिर ‘रोज़ा इफ्तार’कार्यक्रम गंगा-गमुनी तहजीब की गौरवशाली परम्परा को एक बार फिर से बुलंद किया,इस सद्भाव कार्यक्रम में विभिन्न मजहबों,पंथों के अनुयायियों ने शिरकत कर साझी विरासत के गवाह बने,इस दौरान हुई परिचर्चा में साम्प्रदायिकता की बढती काली छाया से लोगों को आगाह करने का संकल्प लिया गया ताकि लोग इसके खतरों को समझ कर जहरीली वायरस के खिलाफ लामबंद हो सके, इसकी शिकस्त से ही समाज खुशहाल होने के साथ देश की भी तरक्की होगी .

महाबोधि मंदिर ब्लास्ट जैसी घटनाएं कभी –कभी राजनीति प्रेरित लगती है आज के सांप्रदायिक माहौल में किसी एक धर्म के लोगों को इस प्रकार की गतिविधयों से जोड़ना गलत है,पूरी जांच प्रक्रिया के बाद ही इस तरह के आरोप  लगाये जाने चाहिए,यह भी नही भूलना चाहिए की एक दौर में पुरे सिक्ख समुदाय को भी आतंकवादी कह कर कलंकित किया गया ,आज की राजनीती सांस्कृतिक व धार्मिक अतरो का इस्तेमाल साम्प्रदायिकता का प्रसार करने के लिए करती है,जिसका उद्देश्य राजनीतिक होता है दरअसल इस तरह की गतिविधियों के पीछे २०१४ के चुनाव की सक्षम रणनीति  निहित है,जनता को और विशेष कर बौद्दिक वर्ग को इस प्रकार की सांप्रदायिक राजनीती का पर्दाफाश करना चाहिए.
उक्त विचार अयोध्या स्थित सरयूकुंज मंदिर में ‘अयोध्या की आवाज़ द्वारा आयोजित ‘महाबोधि मंदिर ब्लास्ट और सांप्रदायिक राजनीति’ परिचर्चा एवं रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.रघुवंशमणि त्रिपाठी ने व्यक्त किया,विवादित भूमि में स्थित रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की बौद्द गया का बम ब्लास्ट सांप्रदायिक राजनीती का धंधा है ऐसा कारोबार देश में विखराव पैदा करता है. इन लोगों की भाषा हमारे लिए हितकर नही है समाज में किसी तरह के विवाद पैदा न हो इसके लिए हमें सतत प्रयास करना चाहिए क्युकी सांप्रदायिक राजनीती के द्वारा ही समाज का विभाजन कर दरार पैदा करने की कोशिश की जाती है. सभी धर्म समरसता का पाठ पढ़ाते हैं.इसलिए किसी धर्म विशेष के खिलाफ दुष्प्रचार नही करना चाहिए.
इस अवसर पर वरिष्ठ कवि डॉ.अनिल सिंह ने कहा की महाबोधि मंदिर की घटना को सांप्रदायिक रंग देना ठीक नही है पिछले दो दशकों के इतिहास में बिहार में इस तरह की पहली घटना है इसलिए इसकी पूरी छानबीन होनी चाहिए क्युकी साम्प्रदायिकता और आतंकवाद के खिलाफ सत्ता के धूर्त चेहरों को पहचानना जरुरी है. मानवाधिकार कार्यकर्ता राजनारायण मिश्रा का कहना था की साम्प्रदायिकता का अगर मुकम्मल खात्मा चाहते हैं तो सामाजिक न्याय के सवाल को हल करना पड़ेगा.अयोध्या की आवाज के संस्थापक युगलकिशोर शरण शास्त्री ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा की बौध गया का बम ब्लास्ट सांप्रदायिक ताकतों की देन है.मुस्लिमों को इस तरह की घटना से उन्हें ही नुकसान होता है तो वह ऐसा कार्य क्यों करेगा?डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता शाह आलम ने अपने बयान में कहा की सांप्रदायिक ताकतें आगामी चुनाव के मद्देनज़र सांप्रदायिक कार्ड खेलना चाहती हैं तब ऐसे दौर में सभी तबके को लेकर आगे बढ़ना होगा तभी नफरत की सियासत का खात्मा होगा. परिचर्चा में सत्यभान सिंह जनवादी,अद्द्यापक अनिल वर्मा,कबीरपंथी संत उदार साहेब आदि ने अपने विचार रखे  इस अवसर पर बोध धर्म से जुड़े महादेव मौर्य,भानपुरा की महंत नंदनी दासी,जलाल सिद्दीकी ,विनोद कुमार,विनय श्रीवास्तव,मोहम्मद तुफैल,भिक्खु भंते रठपाला,काजी मोहम्मद इमरान,सरल ज्ञापते,मोहम्मद जीशान, अधिवक्ता छक्कन राम,मोहम्मद मुश्ताक आदि मौजूद रहे.
भवदीय
-युगलकिशोर शरण शास्त्री
     संयोजक
अयोध्या की आवाज़
# 9451730269

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