18 फ़रवरी 2014

Bihar SADBHAVNA YATRA 2014

AYODHYA TO PATNA  

05-o3-2014 to 14-03-2014


सांस्कृतिक बाहुल्य और धार्मिक एकता की पावन स्थली बिहार हमेशा से ही सदभाव और शांति के प्रतीक के तौर पर जाना जाता रहा है। पाटलीपुत्र से पटना और मगद से गया तक के निर्माण में बदलाव के कई दौर गुजरे पर इसकी धार्मिक अखंडता और प्रभुता पर कोई फर्क नहीं आया और आज भी इसने अपने धार्मिक सदभाव और एकता के महत्त्व को संजोये रखा है। चाहे बात इसकी भोगौलिक सरंचना की हो या फिर मानवीय परिवेश की हर क्षेत्र में आपसी सामन्जस्य का समावेश देखनो को मिलता है कहते है कि बिहार की फिजा में न जाने कैसा आकर्षण है जो सभी धर्मो के लोगो को एक सूत्र में बांधे रखता है। सच में इतिहास गवाह है कि बिहार न सिर्फ प्राचीन भारत की शक्ति, संस्कृति और शिक्षा का मुख्य केंद्र रहा बल्कि यह पूरी भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण अंग भी रहा है। नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्व ख्याति प्राप्त शैक्षणिक संसथान न सिर्फ अपनी उच्च कोटि की शिक्षा व्यवस्था के लिए जाने जाते है बल्कि मानवीय संस्कार और चरित्र निर्माण के सच्चे रचनाकर्मी भी कहलाते है। इन संस्थानो की बदौलत देश को कई ऐसी महान विभूतियाँ मिली है जिन्होने राष्ट्रीय स्तर पर विश्व एकता और शांति का उदारहण प्रस्तुत किया है। और आज भी यह क्रम जारी है यह बिहार की सांस्कारिक और तपो भूमि का ही फल है कि जहाँ पर विभिन्न धर्म गुरुओ ने जन्म और ज्ञान प्राप्त किया एवं अपने तप के बल पर धर्म और मजहब से परे हटकर सभी इंसानो में एक समान मानवता के बीज बोये। बौद्ध धर्म के प्रचारक "गौतम बुद्ध" जिन्होने गया की धरती पर ज्ञान प्राप्त किया और सम्पूर्ण विश्व में अपने ज्ञान की अलख जलायी।   जैन धर्म के अंतिम "तीर्थांकर महीवर" का जन्म वैशाली में हुआ और जिन्होने जैन धर्म की अच्छाइयों से लोगो का परिचय कराया। सिखों के 10वे गुरु  "गुरु गोविन्द सिंह "का जन्म भी बिहार की धरती पटना में हुआ और उन्होने अपने वतन और अपनी जमी की रक्षा हेतु अपने बेटों की कुर्बानी देकर त्याग एवं बलिदान का अनूठा उदारहण प्रस्तुत किया। राम नाम की उपासक   "सीता मइया" जिन्हे तप की देवी माना जाता है का जन्म भी बिहार के सीतामढ़ी में हुआ था उनकी जन्म भूमि पर बना "राम जानकी मंदिर" आज सभी धर्मो की आस्था का मुख्या केंद्र है। इसी भूमि पर जब "मौला सबको इनायत बख्से" की दुआ के साथ एक हजार लोग गया की 180 साल पुरानी "जामा मस्जिद" में एक साथ नमाज अदा करते है तो ऐसा लगता है कि सारी कायनात आज जमी पर आ गयी है और इंसानियत की दुहाई दे रही है।
साथियो बिहार विभिन्न धर्म, संप्रदाय, और मान्यताओ की एक ऐसी मिली-जुली स्थली है जहाँ सदियों से सभी धर्मो के लोग बिना किसी भेदभाव और बैर के एक साथ रहते आ रहे है। जो इंसानी मजहब को सभी धर्मो से ऊपर मानते है। और शान्ति एवं मानवता में विश्वास करते है इसीलिए जब भी साम्प्रदायिक ताकतों ने इसकी एकता और अखंडता पर चोट पहुँचाने की कोशिश, बिहार की जनता ने एकजुटता और आपसी विश्वास का परिचय देकर, उन्हें मुहं तोड़ जवाब दिया और अपनी अखंडता बनाये रखी है। 
बिहार की इसी कौमी एकता की विरासत को अयोध्या की सांक्षी की विरासत से जोड़ते हुए सांप्रदायिक सदभाव एवं शांति का सन्देश जन जन में प्रसारित करने के उद्देश्य से हम बिहार सदभावना यात्रा लेकर निकले है। यह अयोध्या से चलकर बिहार के विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलो पर भ्रमण करेगी और इस दौरान हम सभी धर्मो के लोगो के बीच एकता और सदभाव का सन्देश प्रसारित करेंगे, शान्ति के गीत गायेंगे, पर्चे बाटेंगे और कौमी एकता के उदहारण प्रस्तुत करते हुए आम जन मानस को साम्प्रदायिक सदभाव हेतु प्रेरित करेंगे । 

आप सभी से आग्रह है कि आप भी इस यात्रा से जुड़े और शांति एवं सदभाव के पावन कार्य में अपना सहयोग दीजिये।
        
युगलकिशोर शरण शास्त्री
अयोध्या की आवाज
  राम जानकी मंदिर, दुरहीकुआँ, अयोध्या

Email - ykshashtri@gmail.com  
contact-  9451730269 

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