6 दिसंबर 2010

अयोध्या फैसला: हमारी चिन्तायें

अयोध्या फैसला: हमारी चिन्तायें
अपील
30 सितम्बर 2010 को अयोध्या विवाद के विषय में लखनऊ उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी पूरे देश में अमन चैन कायम रहा। तीनों पक्षों को एक-एक तिहाई भूमि बाँटने के कारण कोई भी पक्ष पूरी हार-जीत का दावा नहीं कर पाया। कोई दंगा खून-खराबा इसलिए नहीं हुआ कि।
क. क्योंकि देश की आम जनता इस विवाद से तंग आ चुकी है और इसे लेकर कोई भी बखेड़ा, दंगा या मार काट के पक्ष में नहीं है।
ख. देश के युवा वर्ग को अपने कैरियर की चिन्ता है,वह काल्पनिक बखेड़ो में नहीं पड़ना चाहता।
ग. क्योंकि खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में जातीय संस्था मजबूत हुई हैं और धार्मिक संस्था कमजोर।
घ. उत्तर प्रदेश के पी.ए.सी बलों के भारी संख्या में जाति और मजहब के आधार पर संतुलन कायम होने के कारण सन 1992 जैसी इनकी साम्प्रदायिक चेहरा नहीं था।
ड. अयोध्या की आवाज,आशा परिवार एवं अन्य जनसंगठनों के कार्यकत्र्ताओं ने स्टीकर, सेमिनार प्रेस वातर्का आदि के माध्यम से शान्ति के लिए अपील जारी किया जिससे साम्प्रदायिक संगठनों के लोग पहले से ही भारी दबाव में आ गये थे। इन संगठनों के लोग जनता से अलग-थलग पड़ गये थे।
लखनऊ हाईकोर्ट के फैसले से कोई संतुष्ट नही है यह तय है कि सम्बन्धित पक्ष सुप्रीमकोर्ट जायेंगे। इसमें कई साल और लग सकते हैं। इस विवाद का फैसला चाहे सुप्रीम कोर्ट से हो या आपसी समझौते से परन्तु विवादों का फैसला सड़कों पर खून खच्चर या दंगा फैलाकर नहीं होना चाहिए। साम्प्रदायिक संगठनों पर सख्त निगाह रखनी होगी, इसके कुकृत्यों पर कड़ी नजर रखनी होगी। यह ताकतें देश को बंधक बनाने,लोकतंत्र,एकता,भाईचारा को कमजोर कर अपना उल्लू सीधा करने का षडयंत्र रचते हैं।
अयोध्या मसला के फैसला को लेकर कई चिन्ताजनक बाते हैं। इस फैसले में साक्ष्य और तर्कों को नीचे कर आस्था और विश्वास को आधार बनाया गया है जिससे इस देश के लोकतंत्र एवं धर्मनिरपेक्षता के समक्ष चुनौती उपस्थित हो गयी है। जबकि मूलरूप से यह वाद जमीन और सम्पत्ति का है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की जिस रपट का सहारा लिया गया है वह काफी विवादास्पद रहा है। हाईकोर्ट का यह फैसला नजीर बन सकता है जिसमें देश के भू-माफियाओं का वर्चस्व बढ़ेगा। वे गरीबों की जमीन, सार्वजनिक स्थल एवं अल्पसंख्यकों के जमीन पर कब्जा कर रातों रात किसी भी देवी देवता की मूर्ति की स्थापना कर आस्था का आधार बिन्दु बनाकर कब्जा करेंगे।
06 दिसम्बर 1992 को भगवा गिरोह द्वारा बाबरी मस्जिद तोड़ने की गुण्डागर्दी की गयी तथा यहाँ के सोलह मुसलमानों को जिन्दा जला दिया गया तथा डेढ़ सौ से अधिक मुस्लिम घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इन तत्वों को अभी तक सजा नहीं मिली है जबकि देश का न्यायालय इससे सामान्य मामले में भी मुस्लिमों को सजा सुनाने में देर नहीं करता है। बाबरी मस्जिद तोड़े जोने की घटना देश का संविधान, एकता एवं धर्मनिरपेक्षता पर हमला थी। इस घटना से देश में तमाम जगहों पर दंगे लूटपाट एवं खून खराबा हुआ। मुम्बई दंगो के मामले पर श्रीकृष्ण आयोग की रपट पर कोई कारवाई नहीं हुई है।
22 दिसम्बर 1949 में अयोध्या के बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखने वालों को सजा दिलायी गयी होती तो 06 दिसम्बर 1992 की घटना नहीं होती। यदि बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों को सजा दिलायी गयी होती तो गुजरात के गोधरा काण्ड के पश्चात हजारों मुसलमानों का संहार नहीं होता। यदि ऐसा ही चलता रहा तो भारत के अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमान और ईसाईयों का शासन, प्रशासन एवं न्यायालय से विश्वास खत्म होगा। वे लोग अपना निर्णय स्वयं लेने को मजबूर हो जावेंगे। शासन प्रशासन एवं जुडीशियल के अल्पसंख्यकों के प्रति नफरतपूर्ण रवैये से लोकतंत्र को भारी नुकसान पहुँच सकता है।
उपरोक्तस्थिति में अयोध्या की आवाज संस्था की निम्न अपील है कि -
क. अयोध्या मसला को स्थानीय स्तर पर आम साधु, सन्त एवं नागरिक द्वारा सुलझाया जाये। यदि परस्पर कोई समझौता नहीं होता है तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मान्य किया जाये।
ख. अयोध्या के जो मठाधीशगण साम्प्रदायिकता की रोटी सेक रहे हैं उन्हें समझौता वार्ता से अलग किया जायें तथा इन लोगों पर कड़ी निगाह रखी जावें।
ग. धार्मिक विवादों को लेकर हिंसा, दंगा, मारकाट, बल प्रयोग का षडयंत्र रचने वाले तथा इसके नाम पर राजनीति करने वालों को जनता मजबूती से ठुकराये।
घ. 06 दिसम्बर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के दोषियों , मुस्लिमों को जिन्दा जलाने तथा इनके घरों व मकानों को आग के हवाले करने वाले को शीघ्र सजा दिलाया जाये।
ड. 06 दिसम्बर 1992 मंे जिन-जिन मुसलमानों के घर आग के हवाले किये गये उन सभी को शीघ्र मुआवजा दिया जावे।
च. अयोध्या में स्थित कारसेवक पुरम जो साम्प्रदायिक गतिविधियों का अड्डा बना हुआ है उसे अधिग्रहीत कर सरकारी अस्पताल या अन्य सार्वजनिक हित में उपयोग किया जाये।

आपका

युगल किशोर शरण शास्त्री, मो0नं0- 09451730269,राजेश नन्द, विनोद कुमार, मो0तुफैल, मनोज धानुक, इरम सिद्दीकी, रामजीराम यादव, मुनेश चन्द्र श्रीवास्तव, भन्ते रठपाल, जलाल अहमद, रईस अहमद, मो0 नईम, अखिलेश चतुर्वेदी,मुजीबी,अब्दुल हफीज, मु0वसीम, भारती सिंह, ठा0राम सिंह, आलोक निगम सुरेन्द्र ओझा एवं अयोध्या की आवाज के समस्त कार्यकत्र्तागण।
निवेदक:
अयोध्या की आवाज एवं आशा परिवार
सरयूकुज मन्दिर दुराही कुँआ, अयोध्या जिला फैजाबाद , उत्तर प्रदेश

1 टिप्पणी:

Tausif Hindustani ने कहा…

बेहतरीन एवं सार्थक लेख , हिन्दू मुस्लिम भाइयों के मिलाप से ही सभी समस्याएं हल होंगी वरना अलगाव से केवल बिखराव होता है
dabirnews.blogspot.com