23 मई 2013

उत्तराखंड सदभावना यात्रा 2013,अयोध्या से बद्रीनाथ तक


 उत्तराखंड सदभावना यात्रा 2013
  15-06-13 से  24-06-13 तक
अयोध्या से बद्रीनाथ  तक 

त्तराखंड सदभावना यात्रा का मुख्य मकसद उत्तराखंड की देवीय, सांस्क्रतिक और ऐतिहासिक विरासत को प्रतीक मानकर उत्तराखंड की जनता में शांति और सदभाव के सन्देश का प्रसार करना है। जैसा कि हम सभी जानते है कि उत्तराखंड धार्मिक संस्क्रति और विरासत का ऐसा प्रतीक स्थान है जो अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए दुनिया भर में जाना जाता है जो एक तरफ तो हिमालय की सफ़ेद बर्फीली चोटियों और हिमनदियो से ढ़का है तो वही दूसरी तरफ जिसकी निम्न तलहटियाँ हरे हरे सघन वनों से ढकी हुयी है जहाँ मन को प्रफुल्लित करने वाली असंख्य झीले है, नैनीताल - अल्मोड़ा जैसे प्राचीन हिल स्टेशन का रोमांच  और बदरीनाथ, केदारनाथ ,गंगोत्री यमुनोत्री जैसे पवित्र धार्मिक स्थल जो दुनियाभर के लाखो पर्यटकों के पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र के रूप में है। जहाँ नाना प्रकार के न्रत्यो, गढ़वाली स्वर के मधुर संगीत से सजी लोक कलाएँ हो| जहाँ विभिन्न धर्मो और संस्क्रति पर आधारित पर्व सर्वधर्म समभाव की भावना का विकास करते हो। जिसकी भूमि बड़े बड़े ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही हो। उत्तराखंड न सिर्फ प्राक्रतिक सौन्दर्य का प्रतीक है बल्कि यह हमारी सांझी विरासत और वसुधेव कुटुम्बकम की अवधारणा का भी प्रतीक है जो पूरे राष्ट्र में एकता और शांति का सन्देश भी फैलाता है पर यह अत्यंत अफ़सोस की बात है कि कुछ सांप्रदायिक ताकते हमारी इस सांस्क्रतिक और एतिहासिक विरासत में नफरत की भावना फ़ैलाने में लगी हुयी है वे अपने निहित स्वार्थो के लिए इस सांझी विरासत के प्रतीक को सांप्रदायिक केंद्र के रूप में बदल देना चाहती है जिसके तहत पिछले कुछ वर्षो में घटी घटनाये चाहे वे पवित्र धार्मिक ग्रंथो को जलाने की घटना हो या फिर दो सम्प्रदाओ के बीच आपसी झगड़े की घटना इन सभी के पीछे साम्प्रदायिक और संकीर्ण राजनीति करने वाले लोगो का ही हाथ है वे धर्म की आढ़ में लोगो के बीच नफ़रत फैलाकर धार्मिक उन्माद पैदा करना चाहते है जिससे वे अपने राजनीतिक स्वार्थी को पूरा कर सके। साम्प्रदायिक हिंसा और तनाव न सिर्फ दो सम्प्रदायों के बीच अलगाव पैदा करती है बल्कि यह हमारी संस्क्रति और हमारी विरासत को भी हानि पहुंचाती है जहाँ एक ओर हमारी संस्क्रति और मानवीय एकता कमजोर होती है तो वाही दूसरी ओर हमारा और हमारे समाज का विकास भी अवरुद्ध होता है और हमारी आंगे आने वाली पीढ़ियाँ भी इसी नफरत की आग में जलती है। 
इसलिए हम उत्तराखंड सदभावना यात्रा लेकर निकले जिसका मुख्य मकसद उत्तराखंड की जनता के बीच शान्ति एकता और सदभाव का सन्देश फैलाना, उत्तराखंड की संस्क्रति और विरासत का प्रसार प्रचार करना, शान्ति और समानता के लोक गीतों के माध्यम से लोगो को प्रेरित करना, आपसी भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना है जिससे नफरत और अलगाव फ़ैलाने वाले लोगो के मकसद को विफल किया जा सके। 

साथियों हम अपनी यह यात्रा अयोध्या से शुरू कर रहे है। इसे अयोध्या से शुरू करने के पीछे भी एक खास मकसद है अयोध्या के इतिहास और महत्व से हम सभी अच्छी तरह परिचित है जितना ज्यादा प्राचीन अयोध्या का इतिहास है उससे भी ज्यादा शांति और सदभाव का प्रतीक । अयोध्या एक ऐसा स्थल जिसने विभिन्न सांप्रदायिक दंगो और झगड़ो के बाद भी अपनी सांझी विरासत को खोया नहीं बल्कि पहले से और अधिक समर्द्ध बनया है। बहुत सारे ऐसे मौके आये जब सांप्रदायिक ताकतों ने अयोध्या की फिजा में नफ़रत का जहर घोलने की कोशिश की है पर आपसी सौहार्द की प्रतीक अयोध्या की जनता ने उन्हें कभी भी अपने मकसद में कामियाब नहीं होने दिया और अयोध्या की सांझी विरासत को संजोये रखा हुआ है। और आज भी यह विभिन्न धर्मो एवं सम्प्रदायों के बीच शांति और सदभाव का सन्देश फैला रहा है । इसलिए हमने अपनी यात्रा अयोध्या से शुरू करने का निश्चय किया  जिससे कि हम उत्तराखंड की जनता के सामने अयोध्या का उदहारण रख सके और उन्हें सदभाव के लिए प्रेरित कर सके। 

आप सभी से आग्रह है कि आप भी हमारी इस यात्रा का हिस्सा बने और शांति एवं सदभावना जैसे पवित्र एवं महान सन्देश फ़ैलाने में अपना सहयोग दे।  लोगो के बीच अपने विचार रखे, शांति के गीत गाये, शांति के पर्चे बांटे, और यात्रा के साथियों का मनोबल बढ़ाये। 

अधिक जानकारी हेतु संपर्क करे - 
युगल किशोर शरण शास्त्री
सरयूकुंज मंदिर, दुराहीकुआ,
अयोध्या ( उ प्र ) .
Email- ykshashtri@gmail.comayodhyakiawaj@yahoo.com
सम्पर्क सूत्र  - 9451730269

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