प्रगतिशील सामाजिक चिन्तक एव वैकल्पिक नाबेल
पुरुस्कार( राईट लिविलीहुड) से सम्मानित
डॉ. असगर अली इंजीनियर के निधन पर शोक सभा
अयोध्या, सर्वधर्म सद्भाव केंद्र, सर्जुकुंज, दुरही कुआ, अयोध्या में अयोध्या की आवाज़ और अवध पीपुल्स फोरम के सयुक्त तत्वाधान में प्रगतिशील सामाजिक चिन्तक
एव वैकल्पिक नाबेल पुरुस्कार (राईट
लिविलीहुड) से सम्मानित डॉ. असगर अली इंजीनियर का कल १४ मई को सुबह हुए निधन पर शोक सभा का
आयोजन किया गया। शोक सभा में युगल किशोर शरण शास्त्री ने इंजीनियर साहब को याद करते हुए उनके द्वारा अयोध्या को साझी विरासत का केंद्र
के रूप में पूरे विश्व में पहचान मिलनी चाहिए, क्योकि की यहाँ सभी धर्मो से सम्बंधित स्मारक और
धरोहर मौजूद है। यदि अयोध्या की साझी विरासत पहचान मजबूत होती है तो साम्प्रदायिक
शक्तियों के हौसले पूरे देश में पस्त होगे. 2002 में इंजीनियर साहब पहली बार सामाजिक कार्यकर्ताओ के साथ बैठक
किये थे। उसके बाद से लगातार वो अयोध्या-फैजाबाद में संघर्ष करते हुए कई बार यहाँ
आकर हम लोगो की सरपरस्ती की है. साकेत महाविद्यालय के डॉ. अनिल सिंह ने कहा
की इनकी आत्मकथा "लिविंग फेथ" को पढने से ज्ञात होता है की
हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बटवारे से इनके जीवन में काफी आसार डाला, जिससे की इनको सामाजिक दिशा में काम करने की
प्रेरणा मिली। अपने संघर्ष के प्रारंभिक दिनों में असगर साहब मार्क्सवादी
विचारधारा से उसकी नास्तिकता के कारण परहेज़ करते थे, किन्तु बाद में मार्क्सवादी विचारधारा ने उनका दिल
जीत लिया क्योकि उनको मार्क्सवादी और इस्लामिक मूल्यों में समानता नज़र आने लगी थी।
उन्हे मह्सुश होता था की मार्क्सवादी होने के लिए नास्तिक होना ज़रूरी नहीं है। 2008 में साकेत कालेज
अयोध्या में उन्होंने साम्प्रदायिक और साझी विरासत पर एक हफ्ते की कार्यशाला का आयोजन किया जो काफी सफल
रहा था और अयोध्या और आस-पास के जिलो के लोगो को उनके सानिध्य का आवसर मिला था।
उनके चले जाने से धर्मंनिरपेछ और
लोकतान्त्रिक मूल्यों के लिए काम करने वाले लोगो ने पुरे देश में अपना अभिभावक खो
दिया है। शोक की इस घडी में हम उनके बेटे और परिवार के साथ है। अब्दुल लतीफ़ ने कहा
की इंजिनियर साहब अपने व्यापक सामाजिक सरोकारों, धार्मिक सुधर पर जोर देने की प्रवित्ति और साम्प्रदायिक के खिलाफ आथक संघर्ष ने उनको दाउदी बोहरा समुदाय
के नेता से एक आखिल भारतीय व्यक्तित्व प्रदान किया। आफाक ने कहा की धार्मिक यथा
स्थितिवाद और महिलाओ की स्थिति में सुधारो के प्रति प्रगतिशील नज़रिके के कराण उनके
ऊपर कई बार व्यक्तिगत हमले भी हुए। फिर भी वो अपनी सोच पर अटल रहे. इरम सिद्दीकी
ने कहा की हम डॉ. इंजीनियर के साथ लखनऊ, वाराणसी, भोपाल में आधा दर्जन कार्यशालाओ में उनके साथ भागेदारी की, हमने हमेशा यही पाया की महिलाओ के प्रति
उनके नजरिया में दकियानूसी नहीं था. बल्कि वो महिलाओ के प्रति लोकतान्त्रिक और
प्रगतिशील विचार रखते थे. शोक सभा में दिनेश सिंह, आजिज़ उल्लाह, डॉ. महादेव प्रसाद मौर्या, गुफरान सिद्दीकी, संजय मिश्र, आलोक निगम, भंते राठ्पला, रामानंद मौर्या, विनय श्रीवास्तव, मो. इमरान, आदि लोगो ने अपने विचार व्यक्त किये. शोक सभा के अंत में 2 मिनट का मौन रखते हुए श्रद्दांजलि
अर्पित की गई.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें