4 जनवरी 2014





फ़ासिज़्म से खतरा पर विमर्श
फ़ासिज़्म से देश की न सिर्फ ताना बना टूटता है बल्कि लोकतन्त्र की विरासत भी चकनाचूर हो सकता है। आगामी लोकसभा चुनाव मे इसी खतरा को  भाँपते हुये दिल्ली के spwd  कान्फ्रेंस हाल मे भारत के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई गयी  थी।इसउत्तरप्रदेश,दिल्ली,महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश ,राजस्थान आदि  कई  प्रान्तों के लोगों ने सिरकत कर गहन विचार विमर्श किया तथा इन ताकतों को रोकने के लिए रणनीति भी तैयार की  गई ।मीटिंग मे अपनी बात रखते हुये इंसाफ के अनिल चौधरी ने चिंता व्यक्त करते हुये कहा की सांप्रदायिकता काफी गहराई मे पहुँच चुका है,यह सिर्फ आरएसएस के बूते की बात नही है।जाट जातियाँ हमेशा से धर्म निरपेक्षता की पैरोकारी करते आ रही थी।जब यह जाती भी फ़ासिज़्म होगयी तो हमे यह मानना पड़ेगा की पानी गर्दन से ऊपर होता जा रहा है।किरण ने कहा की लोकतन्त्र और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर हमे एक जूट होकर अलायंस बनाकर संघर्ष करना होगा।इसके साथ ही मुसलमानो के रोज़ी रोटी और सिक्षा के मुद्दा को मजबूती से उठाना होगा  अनहद के शबनम हाशमी ने अरविंद केजरीवाल ओर नरेंद्र मोदी दोनों को ही कारपोरेट के खिलौना कहा ,उन्होने कहा की इनसे भी सावधानी की जरूरत है।उनका कहना था की कुमार विसवास पूरी तरह सांप्रदायिक है।फासीवादी ताकते  एनजीओ और व्यक्ति को भी निशाना बना रहा है।संतोष का कहना था की हमे सिर्फ तानाशाही को रोकना ही नही लोकतन्त्र को भी बचानाहै।जाकिया ने कहा की हमे आत्म निरीक्षण करना होगा की हम धर्मनिरपेक्षता को मुख्यधारा मे क्यों नही ला  पाये।योगेश का आरोप था अरविंद केजरीवाल को धर्मनिरपेक्षता पर बात करते नही देखा।दीपक का कहना था की हमे अल्प समय मे ही उपरोक्त बिषय पर कार्य करना पड़ेगा।कार्य क्रम के आयोजक राम पुनियानी के प्रस्ताव पर फरवरी मे राष्ट्रिए सम्मेलान करने का निर्णय लिया ज्ञ।अयोध्या के युगल् किशोर  शरण शास्त्री ने कहा की हम यात्रायों के माध्यम से सांप्रदायिकता को चुनौती दे सकते है,उन्होने लोगो को जानकारी भी दिया की 5 मार्च से बिहार सद्भावना यात्रा निकली जा रही है जिसे 13 मार्च को पटना मे समापन किया जावेगा॰ मीटिंग मे चार दर्जन लोग मौजूद थे.........द्वारा  युगलकिशोर शरण शास्त्री.                                  

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