23 दिसंबर 2013

ayodhya

अयोध्या मे फ़ासिज़्म का उभार
....जैसे–जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही सांप्रदायिक ताक़तें अपना फन फैलाए डसने के लिए हमारी आगवानी मे खड़ी हैं, उनकी साजिशें चरम पर हैं । उनकी धुरी का केंद्र फिर अयोध्या बनी है ताकि नफरत की आग भड़काई जा सके॰ इस आग कि तपिश मे वे अपनी सियासी समीकरण को साध सके, ताज़ा मामला 21दिसंबर की रात को लगभग 7बजे अंधेरे का फायदा उठाकर अराजक तत्वों ने साझी विरासत की प्रतीक हज़रत शीश पैगंबर की दरगाह पर तोड़ फोड़ किया॰इनके नापाक मंसूबों का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की पैगंबर की मज़ार को नुकसान पहुंचाने के बाद पच्छिम की तरफ 250 कदम पर पुरानी कब्रों और जंगलों के बीच स्थित जिन्नाती मस्जिद परिसर मे मौजूद कब्रों को नुकसान पाहुचाया साथ ही मस्जिद मे मौजूद दानिश की बेरहमी से पीट पीट कर हत्या कर दी,दानिश पास के परमहंस डिग्री कॉलेज मे बी ए (एजी)का छात्र था
 
खैर प्रशासन से अपनी सूझ –बुझ से शांति बनाने मे कामयाब रहा,प्रशासन ने मस्जिद के मुतवल्ली मंजूर अहमद एवं कज़ियाना मुहल्ले के मोहम्मद सलीम शब्बू की साझा तहरीर के आधार पर इस मामले मे IPC धारा302,452,143,295 के तहत अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ किया है,जिसकी जांच अभी जारी है॰
इस मामले मे शब्बू भाई का कहना है कि पुलिस कि भूमिका कुछ समझ मे नही आ रही है वह मुकदमे को पी जाना चाहती है,चिश्ती सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित म॰युगलकिशोर शरण शास्त्री ने तत्काल साथियों सहित घटना स्थल का दौरा करने के बाद घोर रोष प्रकट करते हुए कहा कि यह जुलाई 2005 जैसी ही आतंकवादी घटना है यह अयोध्या कि साझी विरासत को तोड़ने का बहुत बड़ा कुचक्र था, जो विफल हो गया,यहाँ के मुस्लिमों ने भारी धैर्य का परिचय दिया जिसकी सराहना की जानी चाहिए॰ पुलिस कि भूमिका पर हम अपने साथियों सहित कड़ी निगाह रखे हुए हैं,यहाँ कि मेल जोल को हम टूटने नही देंगे ॰सामाजिक कार्यकर्ता आफाक का कहना है कि अराजक सांप्रदायिक दंगा को अंजाम देना चाहते थे.हत्या के बाद भागने के बजाय उनके हौसले इतने बुलंद थे कि मज़ारों को तोड़ा,महफूज कहते हैं कि शीश पैगंबर की  घटना एक साजिश है और धार्मिक उन्माद पैदा करने का षड्यंत्र किया गया था,सबूत मिटाने के लिए दानिश कि हत्या कर दी गयी॰ अयोध्या के पूर्व सभासद घनश्याम दास का कहना है कि प्रशासन ने दंगा रोकने मे अच्छा प्रयास किया, सबको मिलाकर मामला आगे बढ्ने से रोका॰ अयोध्या निवासी वसीम भाई कहते हैं इसमे सांप्रदायिक लोगों का पूरा हाथ लगता है इसमे स्थानीय अराजकों का हाथ हो सकता है बाहरी लोगों का नही,बाबा असलम कहते हैं कि मुझे नही लगता कि यह दंगा की साजिश है क्यूकी ऐसा कभी नही हुआ था,
बहरहाल अयोध्या की साझी विरासत आज भी उतनी ही मजबूत है यहाँ का मुस्लिम समुदाय ऐसी हरकतों से चिंतित है, फिर भी सौहार्द कि डोर मजबूत है,समय समय पर फिरकापरस्त ताक़तें हमारी मेल जोल का ऐसी घिनोनी हरकतें करके इम्तेहान लेती रहती है,लाख कोशिशों के वावजूद वे अपने मकसद मे कामयाब नही होते दिख रहे हैं॰भले ही इसकी कीमत आए दिन ऐसी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। हम सभी को इनसे सतर्क रहने कि जरूरत है॰ अयोध्या की साझी विरासत टूटेगी तो देश की विरासत कमजोर होगी॰
-जारीकर्ता
युगलकिशोर शरण शास्त्री
संजोयक,अयोध्या की आवाज़


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