29 दिसंबर 2013

भारत नहीं नेपाल है ये सर जी

के एम भाई
नीले रंग की वर्दी पहने एक ठिगने से नेपाली ने हमारे ड्राईवर को हड़काते हुये कहा ये भारत नहीं नेपाल है सीट बेल्ट बांधकर गाड़ी चलाओ वरना जुर्माना लगा दिया जायेगा।
उस नेपाली के इन शब्दों ने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया कि ऐसा क्या है जो नेपाल भारत से अधिक बेहतर है। न तो जनसँख्या में अधिक है और न ही क्षेत्रफल के मुकाबले नेपाल भारत के आगे टिकता है। तो फिर ऐसा क्या है नेपाल में जो नेपाल को भारत से कई गुना अच्छा साबित करता है। मेरे मन ने कहा चलो जरा जाँच पड़ताल करते हैं और काफी अध्ययन और मालुमात करने के बाद जो चीजे मुझे पता चलीं उनके आधार पर तो सच में कहा जा सकता है कि नेपाल भारत से कई गुना अच्छा है।
आइए जरा इसको गहराई से समझने की कोशिश करते हैं। यह बात है मेरी नेपाल यात्रा की। पिछले दिनों जन संस्कृति यात्रा के माध्यम से मुझे भारत और नेपाल के कुछ राज्यो में घूमने का मौका मिला। जिसने मुझे नेपाल की सभ्यता और संस्कृति को करीब से देखने को मौका दिया। तथ्य बताते हैं कि नेपाल भारत की तुलना में क्षेत्रफल, आबादी, भौतिक संसाधन, अर्थव्यवस्था आदि मामलो में बहुत पीछे है। इसमें कोई दोहराय नहीं है अभी कुछ ही समय तो हुआ है नेपाल को एक लोकतान्त्रिक देश बने हुये और अभी भी नेपाल में पूरी तरह लोकतंत्र व्यवस्था कायम होने का इंतजार है। पर इसके बावजूद नेपाल संस्कृति और सभ्यता के मामले में भारत से कई गुना ऊपर है। जी हाँ जितना ज्यादा प्रकृति ने नेपाल को सौन्दर्य प्रदान किया है उतना ही सौन्दर्य नेपाल के मानवीय मूल्यों और रिश्तों में देखने को मिलता है। पूरे नेपाल में आपको कहीं भी कोई भीख माँगते नहीं दिखेगा। यहाँ सीमित संसाधन और आत्मनिर्भरता लोगों की असली पूँजी है। जगह- जगह महिलायें काम करती मिलेंगी। चाय की दुकानों पर, चौराहे पर सब्जी बेचते हुये, बाजारों में कपड़ों की दुकानों पर या फिर किराने की दुकान हर जगह बिना किसी लाज और डर के महिलायें काम कर रही हैं। उन्हें भीख माँगने से ज्यादा काम करना पसन्द है। शायद यही कारण है कि नेपाल में महिलाओ के प्रति अत्याचार की घटनायें न के बराबर हैं। इस बीच में मैं चार-पाँच दिन लगातार नेपाल में जगह-जगह घूमा। वहाँ के प्रमुख अखबारों को पढ़ा। पर मुझे कहीं भी महिला असुरक्षा से सम्बंधित घटनाये न देखने को, न सुनने को और न ही पढ़ने को मिलीं। इसके उल्ट साइकिल पर स्कूल जाती लड़कियाँ, पहाड़ों के बीच सुनसान रास्तों से अकेले गुजरती स्कूली छात्राएँ आपको दिखेंगी पर उनमें कोई डर या असुरक्षा की भावना का नामो निशान नहीं होगा, जबकि भारत के अखबार आये दिन महिला अत्याचार की घटनाओं से पटे पड़े रहते हैं। भीख माँगना तो शायद भारत की नियति में शामिल है। हर गली हर चौराहे पर न जाने कितने हष्ट पुष्ट भिखारी आपको मिल जायेंगे। जहाँ नेपाल ने आज भी अपनी संस्कृति और सौन्दर्य को सहज कर रखा हुआ है वहीं भारतीय संस्कृति अपने हाल पर रो रही है। पाश्चात्य संस्कृति ने तो पूरे भारत पर अतिक्रमण सा कर रखा है। लोक कला और लोक परम्पराओं का अस्तित्व खत्म सा हो गया है जबकि नेपाल में आज भी लोक कलायें जीवित हैं। अगर भ्रष्टाचार की बात करें तो हम सब अच्छी तरह जानते हैं किस तरह भ्रष्टाचार भारत की जड़ो में गहराई तक समाता जा रहा है। वहीं नेपाल में अभी भी ईमानदारी का बहुत महत्व है। इसीलिए तो बिना भंसार कटवाए भारत की गाड़ी नेपाल की सीमा रेखा पार नहीं कर सकती और यदि आपने गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट न बाँधी या फिर आपके पास गाड़ी के कागजात न हुये तो आपको जुर्माना तो भरना ही पड़ेगा साथ में सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। भारत की तरह 20-30 रुपये लेकर छोड़ नहीं दिया जायेगा।
नेपाली वर्दीधारी ठिगने जरूर हैं पर बेईमान नहीं, ईमानदारी और कर्त्तव्य ही तो यहाँ की संस्कृति है जिसकी नेपाली पूजा करते हैं।
तो गर आपको कभी ज़िन्दगी की भागा दौड़ी से फुर्सत मिले तो एक बार नेपाल जरूर जायेगा। वहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य और मानवीय रिश्तों का खूब लुत्फ़ उठाइएगा। मगर ध्यान रहे गाड़ी चलाते समय आपकी सीट बेल्ट बँधी हो क्योंकि ये भारत नहीं नेपाल है सर जी।

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के एम भाई, लेखक घुमक्कड़ प्रवृत्ति के सामाजिक कार्यकर्ता हैं

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