जनता में नयी उर्जा का संचार करेगी ‘जन संस्कृति
यात्रा’:शास्त्री
अयोध्या,आगामी 26 नवम्बर 2013 को अयोध्या से
काठमांडू तक निकाली जा रही जन संस्कृति यात्रा की अगुवाई चिश्ती सद्भावना पुरस्कार
से सम्मानित युगलकिशोर शरण शास्त्री करेंगे.वे ‘अयोध्या की आवाज’ संस्था के संयोजक
भी है.शास्त्री अभी तक देश के लम्बी दूरियों की शांति और सद्भाव के लिए 11 यात्राओं की अगुवाई कर चुके हैं.यह उनकी 12वी यात्रा होगी.वे अयोध्या की साझी विरासत का
सन्देश अपने यात्राओं के माध्यम से जन-जन तक पहुचाने का
प्रयास कर रहे हैं.
युगलकिशोर शरण शास्त्री देश
के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं में शुमार किये जाते हैं.वे 22वर्षो से शांति और सद्भाव की मुहिम में सक्रिय
हैं.इस विषय पर अभी तक वे 450 से अधिक कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक आयोजन कर
चुके हैं.8 पुस्तकों के लेखक होने के गौरव के साथ 23वर्षों तक श्रीरामजन्मभूमि साप्ताहिक पत्र के
सम्पादक की जिम्मेदारी निभाने के साथ सद्भाव की अलख जगाने
के जिम्मेदारी के अलावा साम्प्रयिकता के बढ़ते खतरों
से आगाह करते रहे हैं.फिरकापरस्ती के
स्याह होते चेहरे और दमित तबकों के हक़ हकूक पर उनके सेकड़ों लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं
में समय-समय प्रकाशित होते रहे हैं.
जन संस्कृति यात्रा के अगुवा युगलकिशोर शरण शास्त्री कहते हैं की यह ‘यात्रा’
अन्य यात्राओं से कुछ भिन्न है.इसमें साम्प्रदायिकता,महिला अधिकार,दलित समस्या,
ग्रामीण संस्कृति और ग्रामीण अंचल के एतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों पर जमीनी
हकीकत का दस्तावेजीकरण कर नयी पीढ़ी को इससे रूबरू कराया जायेगा.इन सवालों से जूझने
के लिए हमे ग्रामीणों से बीच जाना होगा.. हम इसके लिए भी तैयारी कर रहे हैं.नेपाल
के पहाड़ी इलाको के लिए हम वहां की बोली वानी समझने के वास्ते इलाकाई साथी की तलाश
कर रहे हैं जिससे भाषाई समझ में आसानी होगी.जिससे हम ग्रामीण हलकों में मीटिंग और
सेमिनारो के मार्फ़त जनजागरूकता की रौशनी की लौ और तेज़ किया जा सके.इस यात्रा में
महिला अधिकारों पर लगातार कलम चलाने वाली महिला लेखिकाओं का जमावड़ा रहेगा,जो अपने
अनुभव से सराबोर करेंगी.इंसानियत पसंदों की इस यात्रा का समापन 3दिसंबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू में विविध
कार्यक्रम होंगे. जन संस्कृति यात्रा अपनी मकसद में कामयाब होगी,ऐसी उम्मीद दिखती
है.
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