5 अक्तूबर 2013

खौफजदा हैं यहाँ के ग्रामीण मुस्लिम                                      

  मुज़फ्फरनगर के देहाती इलाकों में मुस्लिम समुदाय आज भी भय और आतंक के साए में जिन्दा रहने को मजबूर है.हालात अच्छे नही है .इन्सान भी इतना बड़ा शैतान हो सकता हाँ,मुझे वहां जाने पर महसूस हुवा.इंसानों का क़त्ल करने वाले और मुस्लिम परिवारों के बहु-बेटियों के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले का अपने किये का कोई पछतावा नही है. 

पयामे इंसानियत फोरम द्वारा अमन और शांति के लिए निकाली गयी यात्रा के दौरान लखनऊ,शाहजहांपुर,मेरठ,मुरादाबाद में आधा दर्जन सभावों को सम्बोधित करते हुए वहां पहुंचा था. मेरे अन्य साथी मुज्फ्फरनगर के आस पास के इलाकों में दंगों के दौरान पलायन किये हुए केम्पों में पहुंचा जबकि मैं गाँव और कश्बों में जाकर हालात से रूबरू होने का प्रयास किया.मुज़फ्फर नगर से १० k.m.की दूरी पर स्थित कसौली क़स्बा में हमलोगों के लिए मीटिंग रखी गयी थी.इसमे हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग काफी संख्या में मौजूद थे.यहाँ पर आपसी समझदारी के कारन कोई दंगा फसाद नही हुआ.इन लोगों का कहना था की कुछ सिरफिरे किस्म के लोग आज भी माहौल को बिगाड़ने में लगे हैं.जामा मस्जिद के पास बुलाकर एक मुस्लिम युवक बताने लगे की यहाँ के मुस्लिम समुदाय अनहोनी घटना के मदें नजर कफी सममें हुए है २७ सितम्बर २०१३ से रात्रि में मसूरपुर  दरबार के  मोलाना यासीन से हाथ मिलते ही जोर से मेरा हाथ पड़ते हुए फफक फफक कर रोने लगे/ कहने लगे की आप जान पर खेलकर हम लोगो से मिलने आये है आपका हम लोगो पर बहुत बड़ा एहशान है वे काफी भयाक्रांत दिख रहे है /वे आसू टपकाते हुए कहने लगे की में विदेश जाने पर वहा के लोगो को क्या बताऊगा /मोलाना साहब कहने लगे की यहाँ और आस पास के इलाको में जो वारदात बहु बेटियो के साथ हुआ है वह कोई बतायेगा नहीं क्याकि यह इज्जत का अवाल है उस गाव के मुस्लिम अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे है प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय है /मसूर पुर गाव शहर से लगभग 15 कि मी दूरी पर है जहा आधी आबादी हिन्दु और आधी मुस्लिम की है यहा पर जाटो की सख्या आधिक है हरपाल सिह बताते है की हमारे गाव में फसद रोकने में मोलानाओ की अहम भूमिका रही है यह प्रयास हिंदुओ की और से होना चाहिय था कहने लगे की जब माहोल बिगडा तो बिना भदे भाव के  यहा के मोलाना राह से गुजरने वाले लोगो को गाव में ही रोके रखा और उनके लिए भोजन तथा रात्रि विश्राम की व्यवस्था किया था /अभी हम यह नही कह सकते की मोलाना सुधर गया है 

मसूर पुर गाव में रहने वाले मोलाना नईम अरसद कहने लगे की यहाँ के हालात अभी अच्छे नहीं है गाव में पुलिस बल लगा है परन्तु कुछ नहीं कर रहा है आस पास के इलाको में कई अजनबी व्यक्ति मारे गये है पड़ोसी गाव के राजबीर सिह कहते है की यहा हिन्दू अमुख मुस्लिम या अमुक अमुक जाति के है यह मनना ही छुद्र का लक्षण है इस इलाके में बहुत पहले से ही मुस्लिम के प्रति नफरत के बीज बोये जा रहे थे जिसमे पहला सरकार पर आरोप लगया जा रहा था की यह सरकार सिर्फ मुसलमानों के लिए है कश्मीर में धारा 370 को लेकर भी माहोल बनाया जा रहा था ,यह जो फसाद दगा और हिंसा का खेल चल रहा है सब राजनीतिक का देंन है  

यहाँ का ग्रामीण इलाका सवाल खड़ा कर रहा है की अल्पसंख्यकों को सुरक्षित रहने का अधिकार है की नही .मुजफ्फरनगर जनपद के गावो में जिस प्रकार से भयपूर्ण माहोल है उसे खत्म होने में समय लगेगा वहा के गावो में दो समुदाय के बीच की दुरिया बढ़ी है जिसे  पाटना बहुत सरल नहीं है यह कार्य सिर्फ शासन प्रशासन से संभव नहीं है बल्कि समाज से सरोकार रखने वाले लोगो को भी अपनी भूमिका का निर्बहन करना पड़ेगा /

                                                युगलकिशोर सरन शास्त्री

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